300 साल पुरानी है लंगड़ा आम की कहानी: बनारस के पुजारी से जुड़ा नाम, स्वाद से जीता देश का दिल

 
300 साल पुरानी है लंगड़ा आम की कहानी: बनारस के पुजारी से जुड़ा नाम, स्वाद से जीता देश का दिल

नई दिल्ली: आमों की दुनिया में दशहरी, चौसा, तोतापरी और केसर जैसे नाम खूब सुने जाते हैं, लेकिन एक ऐसा आम भी है जिसका नाम जितना अलग है, स्वाद उतना ही अनोखा – लंगड़ा आम। क्या आपने कभी सोचा कि इस आम का नाम ‘लंगड़ा’ क्यों पड़ा? इसके पीछे की कहानी न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि बनारस की संस्कृति से भी गहराई से जुड़ी हुई है।

लंगड़ा आम का नाम कैसे पड़ा?

इस किस्म का इतिहास करीब 300 साल पुराना है। बनारस (वाराणसी) में एक दिव्यांग पुजारी रहते थे, जिन्हें स्थानीय लोग सम्मानपूर्वक ‘लंगड़ा पुजारी’ कहकर बुलाते थे। एक दिन एक संत ने उन्हें आम के कुछ खास बीज दिए और मंदिर के पास बोने का सुझाव दिया। शर्त सिर्फ इतनी थी कि पेड़ पर पहला फल भगवान को चढ़ाया जाएगा और फिर भक्तों में बांटा जाएगा।

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समय बीतते फल आए और उनका स्वाद लाजवाब निकला। जब लोगों ने पूछा कि यह स्वादिष्ट आम कहां से आया, तो जवाब मिला – "यह तो लंगड़ा पुजारी के पेड़ से है।" यहीं से इस आम को नाम मिला – लंगड़ा आम।

बनारस की शान और देशभर में मांग

आज लंगड़ा आम सिर्फ बनारस ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत की शान बन चुका है। इसकी खट्टे-मीठे स्वाद, रसीले गूदे और मनमोहक खुशबू के चलते इसकी मांग हर सीजन में चरम पर होती है। यह आम न केवल स्वाद के लिए, बल्कि अपनी अनूठी पहचान और ऐतिहासिक विरासत के लिए भी मशहूर है।

स्वाद के साथ सेहत का भी साथी

लंगड़ा आम सिर्फ स्वाद ही नहीं, सेहत के लिहाज़ से भी बेहद फायदेमंद है। इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं:

  • विटामिन C – इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है

  • फाइबर – पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है

  • मैग्नीशियम व एंटीऑक्सीडेंट्स – हृदय स्वास्थ्य में मददगार

  • ब्लड प्रेशर कंट्रोल – नियमित सेवन से बीपी नियंत्रण में रहता है

एक आम जो नाम से खास बना

लंगड़ा आम की कहानी हमें सिखाती है कि किसी चीज़ की पहचान उसके नाम या रूप से नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता और विरासत से होती है। एक दिव्यांग पुजारी के नाम से जुड़ा यह आम आज हर आम खाने वाले का खास पसंदीदा बन चुका है।

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