विदुर नीति से सीखिए जीवन जीने की कला

 
विदुर नीति से सीखिए जीवन जीने की कला

विदुर नीति भी चाणक्य नीति की तरह ही मानव जीवन को सफलता प्राप्त करने और जीवन में आगे बढ़ने के बारे में बताती है. विदुर महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं. विदुर एक दासी पुत्र थे. इसीलिए उन्हें राजा बनने का अधिकार प्राप्त नहीं था. लेकिन वह अपनी बुद्धि और ज्ञान के दम पर हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री नियुक्त हुए थे. विदुर हमेशा सच का साथ देते थे. चाहे उन्हें स्वयं राजा के विरोध का ही सामना क्यों ना करना पड़े. इसीलिए विदुर को 'धर्मराज' भी कहा जाता है.

विदुर नीति

जब भी जीवन में सफलता पाने की बात आती है तो सबसे पहले चाणक्य का नाम ही दिमाग में आता है. लेकिन चाणक्य नीति से कई हजार वर्ष पहले विदुर द्वारा विदुर नीति का निर्माण हुआ. विदुर जी ने अपनी नीतियों में मनुष्य को सम्मान के साथ जीने की कला के बारे में बताया. साथ ही सफलता प्राप्ति की कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई हैं. विदुर जी ने व्यक्तियों की अलग अलग पहचान भी बताई, जैसे मूर्ख, बुद्धिमान, धनवान, व्यक्ति कौन और कैसा होता है. इस नीति का मुख्य विषय है कि मनुष्य अपने जीवन में आगे कैसे बढ़ सकता है. आइए जानते हैं विदुर जी की कुछ महत्वपूर्ण नीतियों के बारे में-

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-विदुर जी के अनुसार किसी भी कार्य करने से पहले आत्ममंथन करना जरूरी होता है.

-यदि कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों की मदद करता है तो यह मानवता का परम धर्म कहलाता है. अगर हमारी वजह से किसी दूसरी किसी व्यक्ति का भला होता है. हमें जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहिए. इससे समाज में सम्मान बढ़ता है.

-साधु सन्यासी या भिक्षुक को घर के द्वार से कभी खाली हाथ नहीं लौट आना चाहिए

-हमारे समाज में मेहमानों को देवता माना जाता है. कहा भी जाता है कि अतिथि देवो भवः. इसीलिए हमें घर आए मेहमानों के साथ प्रेम भाव रखते हुई, उनकी सेवा करनी चाहिए. शास्त्र के अनुसार यदि व्यक्ति ऐसा करता है तो वह व्यक्ति समाज में सर्वाधिक सम्मान प्राप्त करता है.

-जिसमें अपार शक्ति होती है. जो हर मुश्किल में रख कर खड़ा रहता है. और ईश्वर में विश्वास रखता है वह व्यक्ति श्रेष्ठ व्यक्ति कहलाता है.

-बुद्धिमान लोग दुर्बल और खोई हुई वस्तु का कभी भी शौक नहीं करते. वह अपने दिमाग से काम लेते हैं.

-अच्छे व्यक्ति कार्य को करने से पहले एक रूपरेखा तैयार करते हैं. कार्य को कभी भी अधूरा नहीं छोड़ते और समय का सदुपयोग करते हैं.

-जो व्यक्ति अपने आदर सम्मान होने पर अधिक खुश होता है. वह विदुर के अनुसार मूर्ख कहलाता है.

-मन, वचन और कर्म से सोचे गए विचार या जिस वस्तु के बारे में सोचते हैं. वह हमें अपनी ओर आकर्षित कर लेती है. इसीलिए हमें सदैव अच्छे विचारों का चिंतन करना चाहिए.

-व्यक्ति को कम बोलना और अधिक सुनने की क्षमता रखनी चाहिए.

-दुनिया में सफलता पाने वाले व्यक्ति को नींद, क्रोध, भय, आलस्य तथा देर से काम करने की आदत छोड़ देनी चाहिए.

-धन प्राप्ति, स्वस्थ रहना, आज्ञाकारी संतान, प्रिय पत्नी और मनोरथ दूर करने वाली विद्या. यह पांच चीजें संसार को सुख उपलब्ध कराने का साधन है.

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