MP NEWS:  आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची भव्य और दिव्य प्रतिमा इनॉगरेशन, वीडियों में देखें इसकी भव्यता और खासियतें 

 
StatueOfOneNess


StatueOfOneNess: मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने ओंकारेश्वर में मांधाता पर्वत पर संत समुदाय के साथ आदि शंकराचार्य जी की 108 फीट ऊंची भव्य और दिव्य प्रतिमा 'एकात्मता की मूर्ति' का अनावरण एवं "अद्वैत लोक" का शिलान्यास किया।इस दौरान  स्वामी अवधेशानंद जी गिरी महाराज, परमात्मानंद जी, स्वामी स्वरूपानंद जी, स्वामी तीर्थानंद जी महाराज सहित अन्य संत जन मौजूद रहे। सिद्धवरकूट, ओंकारेश्वर में अद्वैत लोक के शिलान्यास के अवसर पर आयोजित 'ब्रह्मोत्सव कार्यक्रम'में अपने संबोधन में सीएम ने कहा कि आज जो कुछ हो रहा है, वो स्वयं आदि शंकराचार्य जी महाराज की कृपा से हो रहा है। ओंकारेश्वर में आनंद की वर्षा हो रही है, मैं भाव विभोर हूं। आचार्य भगवन का आज फिर से अवतरण इस धरती पर हुआ है।




ब्रह्मोत्सव में वर्चुअली भी जुड़े संत

सिद्धवरकूट में हुए ब्रह्मोत्सव में विभिन्न पीठों के जगद्गुरू शंकराचार्य ने भी लाइव संदेश के माध्यम से एकात्म धाम के लिये शुभकामना संदेश दिये। जगद्गुरू शंकराचार्य, शारदा पीठ और श्रृंगेरी श्री विधुशेखर भारती महास्वामी जी ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य की भव्य मूर्ति बन जाने से श्रद्धालुओं को परम सुख की अनुभूति मिलेगी। अद्वैत के सिद्धान्त अनंत है। इन सिद्धान्तों ने समाज के विभिन्न लोगों को जोड़ा है। जगद्गुरू शंकराचार्य, शारदापीठ द्वारिका सदानंद सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि यह अवसर बेहद शुभ है। एक दौर में वेद ग्रन्थों के प्रमाण मांगे जाने लगे थे। आचार्य शंकर ने अपने धार्मिक सूत्रों से उनका खण्डन किया। आचार्य मानते थे कि प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का अंश है। जगद्गुरू शंकराचार्य, कांची कामकोटि पीठ, कांचीपुरम स्वामी विजयेन्द्र सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि वेदों का सार है विश्व-कल्याण। आज इस विचार को सारा विश्व मान रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री के समाज के कल्याणकारी कार्यों जैसे मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की सराहना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने महाकाल धार्मिक क्षेत्र का भी विस्तार किया है। अद्वैत के सिद्धान्तों से देश का विकास होगा और भारत जल्द विश्व गुरू बन सकेगा।

WhatsApp Group Join Now


विश्व को शांति और एकता का संदेश देगी एकात्मता की प्रतिमा : सीएम 


मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ये युद्ध नहीं,शांति,  संघर्ष नहीं,समन्वय,  घृणा नहीं,प्रेम यह संदेश केवल 'अद्वैत' ही दे सकता है।  आदिगुरू शंकराचार्य की एकात्मता की प्रतिमा विश्व को शांति और एकता का संदेश देगी। साथ ही बताया कि कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य जी कहां केरल से चले। केवल मात्र 12 वर्ष की आयु में 1675 किलोमीटर बीहण वनों से चलते हुए यहां ओंकारेश्वर आए थे। यहां उन्हें गुरु मिले थे। आदि गुरु शंकराचार्य जी जिनके कारण भारत बचा हुआ है। भारत है इसलिए कि आदि शंकरचार्य थे।  अगर वो न होते तो भारत सांस्कृतिक रूप से एक नहीं होता।  ओंकारेश्वर की पवित्र भूमि पर 'आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय वेदान्त संस्थान' बनेगा, जहां 'अद्वैत' की शिक्षा लेने देश एवं दुनिया भर से विद्यार्थी आएंगे और यह 'अद्वैत' में दीक्षित होकर विश्व में शांति की स्थापना करेंगे। 
 


शंकराचार्य जी के विचार हर घर तक पहुंचे, इसके लिए हमने "परिव्राजन" योजना बनाई: सीएम


मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आदि शंकराचार्य जी के विचार गांव-गांव, द्वार-द्वार तक पहुंचे, इसके लिए हमने "परिव्राजन" योजना बनाई है। सीएम श्री चौहान ने कार्यक्रम में उपस्थित  संतो से आग्रह किया आप घर घर 'अद्वैत वेदान्त के के विचार जनता के मन में पहुंचाएं -जिससे हर घर का कल्याण हो। 


ब्रह्मोत्सव में साधु, संतों और अखाड़ों के प्रमुखों ने की एकात्म धाम प्रकल्प की प्रशंसा

जूना पीठाधीश्वर के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि मध्य प्रदेश में नर्मदा के तीरे इस धाम में भगवान ओंकारेश्वर पर्वत पर भागवतपाद जगतगुरु की भव्य और दिव्य प्रतिमा स्थापित करने का प्रकल्प अद्भुत है। आज यहाँ दक्षिण भारत से भी अनेक संत पधारे हैं। आदि शंकराचार्य जी आज भारत के सांस्कृतिक स्वरूप का मेरुदंड बने हैं। हमारी संस्कृति इस तरह विकसित नहीं होती यदि शंकराचार्य जी नहीं आते।


एकात्मता की मूर्ति की खासियतें 

एकात्म धाम में स्थापित आचार्य शंकर की प्रतिमा का नाम एकात्मता की मूर्ति (स्टैच्यू ऑफ वननेस) है।

108 फीट की अष्टधातु मूर्ति आचार्य शंकर के बाल रूप 12 वर्ष की आयु की है।

मूर्ति के आधार में 75 फीट का पैडेस्टल है।

यह मूर्ति पाषाण निर्मित 16 फीट के कमल पर स्थापित है।

मूर्तिकार श्री भगवान रामपुरे एवं चित्रकार श्री वासुदेव कामत के मार्गदर्शन में मूर्ति का निर्माण किया गया है।

प्रतिमा में 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक, 8 प्रतिशत टिन का उपयोग किया गया है। प्रतिमा 100 टन वजनी है।

कुल 290 पैनल से यह मूर्ति निर्मित की गई है।

समग्र अधोसंरचना के निर्माण में उच्च गुणवत्ता के 250 टन के स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है।

कंक्रीट के पैडस्टल की डिजाइन 500 वर्ष तक की समयावधि को ध्यान में रखकर की गई है।

Tags

Share this story