Mahakal Lok: उज्जैन में महाकाल लोक में फिर हादसा, अब नंदी द्वार का कलश टूटा

 
Mahakal Lok: उज्जैन में महाकाल लोक में फिर हादसा, अब नंदी द्वार का कलश टूटा
Mahakal Lok: उज्जैन में महाकाल लोक में तीन दिन बाद दूसरा हादसा हो गया। महाकाल लोक में सप्त ऋषियों की मूर्तियां गिरने के बाद अब गुरुवार दोपहर को नंदी द्वार का कलश अचानक से गिर गया। घटना के समय वहां से निकल रहे कुछ श्रद्धालुओं बाल-बाल बच गए। जानकारी के लिए आपको बता दें कि, महाकाल लोक में नंदी द्वार स्थित है। इसी में से होकर श्रद्धालु महाकाल लोक में प्रवेश करते हैं। इसी में लड्‌डू के आकार के कुछ कलश लगे हैं।

जमीन में लगी टाइल्‍स टूटी

कलश गिरने से परिसर की जमीन में लगी टाइल्‍स टूट गई। गौरतलब है कि 28 मई को उज्जैन में चली तेज हवाओं के कारण महाकाल लोक में स्थापित सप्त ऋषियों में से 6 ऋषियों की मूर्तियां पेडस्टल से गिरकर खंडित हो गई थी। आज शाम को अचानक द्वार के डिजाइन में लगा कलश टूटकर गिर गया। यह पत्थर का कलश है।

आंधी, तूफान एवं बारिश की गिरी मुत्रियां

आंधी, तूफान एवं बारिश की इस प्राकृतिक आपदा के तहत क्षतिग्रस्त हुई मूर्तियों को डीएलपी (डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड) में होने के कारण संबंधित ठेकेदार द्वारा अतिशीघ्र मूर्तियाँ पुन:स्थापित की जाएंगी। शेष मूर्तियों का भी ऐहतियात के तौर पर परीक्षण कराया जा रहा है।यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि मूर्तियों के निर्माण में एफआरपी सामग्री का उपयोग होता आया है। उदाहरण स्वरूप महाराष्ट्र के पंढरपुर शेगाँव में, दिल्ली स्थित किंगडम ऑफ ड्रीम, अक्षरधाम मंदिर, कुरूक्षेत्र में, सिक्किम स्थित मंदिरों तथा बाली इंडोनेशिया के धार्मिक स्थल के साथ-साथ देश के अन्य स्थानों पर समय-समय पर मूर्तियों एवं प्रतिमाओं के निर्माण में एफआरपी सामग्री का उपयोग किया जाता रहा है और वर्तमान में भी किया जा रहा है। इसी तर्ज पर उज्जैन श्रीमहाकाल महालोक में भी मूर्तियों के निर्माण में निविदा शर्तों के तहत एफआरपी सामग्री का उपयोग किया गया तथा यह एफआरपी सामग्री थर्ड पार्टी निरीक्षण में गुणवत्तापूर्ण पाई गई थी।तेज आंधी-तूफान, बारिश की प्राकृतिक आपदा के चलते हवा के दबाव में 3 क्विंटल वजनी यह मूर्तियाँ 10 फीट ऊपर से गिरने से क्षतिग्रस्त हुई हैं। इसका तुरंत संज्ञान लिया गया है और शीघ्र ही इन मूर्तियों को पुनर्स्थापित करने की कार्यवाही की जा रही है।

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यहाँ उल्लेखनीय है कि प्रश्नाधीन कार्य की निविदा 4 सितम्बर 2018 को जारी की गई थी। इसकी स्वीकृति उज्जैन स्मार्ट सिटी की 7 जनवरी 2019 को हुई 11वीं बोर्ड मीटिंग में दी गई थी। स्मार्ट सिटी कम्पनी उज्जैन द्वारा एलओए (लेटर ऑफ एग्रीमेंट) 25 फरवरी 2019 को तथा कार्या देश 7 मार्च 2019 को जारी किया गया था। इस कार्य के लिये जारी निविदा में सफल निविदाकार को महाकाल रूद्र सागर एकीकृत विकास क्षेत्र (मृदा) फेज-1 में शामिल विभिन्न कार्यों को स्कोप ऑफ वर्क (SCOPE OF WORK) एवं स्वीकृत दरों पर करने के निर्देश दिये गये थे। यह कार्य कान्ट्रेक्ट में अनुमानित लागत से 0.76 प्रतिशत कम के थे। साथ ही इस कार्य में मृदा क्षेत्र में प्लाजा का‍विकास करना सम्मिलित था। स्कोप ऑफ वर्क में 9 फीट, 10 फीट, 11 फीट एवं 15 फीट ऊँचाई की लगभग 100 एफआरपी की मूर्तियाँ शामिल थीं तथा इस कार्य की लागत 7 करोड़ 75 लाख रूपये प्रावधानित थी। सफल निविदाकार को प्लाजा क्षेत्र के आर्ट वर्क का अनुमोदन स्मार्ट सिटी कम्पनी से कराया जाना था। सफल निविदाकार ने प्लाजा क्षेत्र में सम्पूर्ण आर्ट वर्क का प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत किया, जिसमें इन एफआरपी मूर्तियों की स्थापना भी सम्मिलित थी। स्मार्ट सिटी कम्पनी उज्जैन द्वारा 18 जून 2019 की बैठक में प्रस्ताव के परीक्षण के बाद प्लाजा क्षेत्र के इस सम्पूर्ण आर्ट वर्क का अनुमोदन किया गया।

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