Maharaja Laxmeshwar Singh: प्रधानमंत्री कार्यालय में समाज सुधारकों की तस्वीर में सिर्फ एक बिहारी है,पूर्व मुख्यमंत्री इस बात को भूल गए
एक निजी इंटरव्यू में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी बताते हैं कि, पिछले 500 सालों में बिहार में कोई समाज सुधारक नही हुआ। अगर होता तो बिहार की तस्वीर कुछ और होती।
अब बिहार के उपमुख्यमंत्री जी सही है या भारत के प्रधानमंत्री जी का आवासीय कार्यालय! प्रधानमंत्री आवासीय कार्यालय में समाज सुधारकों की तस्वीरें लगी है जिनमें एक बिहारी भी है। और वो कोई और नहीं महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह जी की तस्वीर है।
महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह जिन्हें लोग प्यार से दरभंगा महाराजा बताते हैं। जिन्होंने सच में अपने देश, अपने लोगों और समाज के विकास के लिए बहुत कुछ किया। ऐसा शानदार परिवार और राजा हिंदुस्तान में ही कोई दूसरा देखने को नहीं मिलेगा।
दरभंगा महाराज की भूमिका तात्कालिक समय में क्या रही इसे ऐसे समझिए की जब अंग्रेजी काल में भोजपुर, मगध आदि से गिरमिटिया मजदूर बनाकर जहाजों से अफ्रीका, फ़िजी, गुयाना, मॉरिसस आदि जगह ले जाए जा रहे थे उस वक्त मिथिला का एक भी मैथिल गिरमिटिया बनाकर नहीं ले जाया जा सका। हमारे यहां रोजगार के लिए अपना चीनी, जुट, पेपर, खाद मिल आदि था।
देश आजाद हुआ, मिथिला के ऊपर से संरक्षण खत्म हुआ, नेताओं का राज आया। मिलों को बंद किया गया, और मजदूर गिरमिटिया बनाकर जनसाधारण ट्रेनों में लाद पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मुंबई, दिल्ली भेज दिए गए।
भूदान आंदोलन में लाखों एकड़ जमीन दान दिया:
देशभर के राज परिवार अपने महलों में होटल चलाते हैं, वो दरभंगा राज परिवार ही है जिसने अपना एंसेस्ट्रल आनंद बाग पैलेस कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय को दे दिया था। अपना दरभंगा हाऊस (नौलखा पैलेस) पटना यूनिवर्सिटी को दे दिया।
सिर्फ BHU या AMU नहीं, उसके अलावा कलकत्ता यूनिवर्सिटी, अलाहाबाद यूनिवर्सिटी, पटना यूनिवर्सिटी, LNMU, KMU, DMCH, PMCH, पूसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, राज स्कूल, MGRC जैसे दर्जनों राष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना में सबसे बड़े डोनर रहे। 1839 में गर्ल्स चाइल्ड एजुकेशन के लिए महाकाली पाठशाला स्थापित करवाई।
जब विनोवा भावे भूदान आंदोलन लेकर देशभर में घूमे तो गरीबों और भूमिहीनों को बसाने के लिए सैकड़ों, हजारों नहीं लाखों एकड़ जमीन दान दिया।