तीसरी संतान पर मिलेगी ₹50,000 की FD: माहेश्वरी समाज की घटती जनसंख्या से निपटने की अनूठी पहल

 
तीसरी संतान पर मिलेगी ₹50,000 की FD: माहेश्वरी समाज की घटती जनसंख्या से निपटने की अनूठी पहल

राजस्थान के माहेश्वरी समाज ने जनसंख्या घटने की समस्या से निपटने के लिए एक नई सामाजिक योजना शुरू की है। अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन, पुष्कर की ओर से तीसरी संतान होने पर परिवार को ₹50,000 की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) दी जाएगी। यह योजना समाज में जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक एकता को भी मजबूत बनाने की दिशा में एक प्रयास मानी जा रही है।

भीलवाड़ा में सात परिवारों को मिला लाभ

भीलवाड़ा स्थित इन्द्रप्रस्थ टॉवर में आयोजित समारोह में इस योजना के तहत सात परिवारों को 50-50 हजार की एफडी सौंपी गई। यह कार्यक्रम सेवा सदन अध्यक्ष रामकुमार भूतड़ा के निर्देश पर आयोजित हुआ, जिसमें समाज के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए।

सेवा सदन के उपाध्यक्ष अनिल बांगड़ ने बताया कि इस प्रस्ताव को सेवा सदन की वार्षिक साधारण सभा में पारित किया गया था, और इसे पूरे देश में फैलाने का लक्ष्य रखा गया है।

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माहेश्वरी समाज: सांस्कृतिक विरासत और पहचान

माहेश्वरी समाज राजस्थान का एक प्रमुख वैश्य समुदाय है, जिसकी जड़ें 11वीं-12वीं शताब्दी में मानी जाती हैं। 72 क्षत्रियों द्वारा युद्ध और हिंसा छोड़कर वैश्य धर्म अपनाने की कथा इस समुदाय की उत्पत्ति से जुड़ी हुई है। भगवान महेश (शिव) के नाम पर बना यह समाज व्यापार, शिक्षा और सेवा में अग्रणी रहा है।

आज यह समुदाय भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में संगठित रूप से मौजूद है।

घटती जनसंख्या: समाज के सामने चुनौती

हाल के वर्षों में, माहेश्वरी समाज में प्रजनन दर में गिरावट देखी गई है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या भले ही 2025 तक 1.46 अरब तक पहुंच जाए, लेकिन प्रजनन दर 1.9 तक गिर चुकी है, जो 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है।

इसी संकट को देखते हुए माहेश्वरी समाज ने तीसरी संतान को प्रोत्साहन देने की योजना बनाई है।

पहल का असर और आगे की दिशा

भीलवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम से इस योजना ने सकारात्मक सामाजिक संदेश दिया है। इससे न सिर्फ आर्थिक सहायता मिलेगी, बल्कि जनसंख्या वृद्धि के महत्व को लेकर समाज में जागरूकता भी बढ़ेगी।

उपाध्यक्ष अनिल बांगड़ के अनुसार, इस योजना को हर जिले और राज्य में फैलाने का प्रयास किया जाएगा ताकि हर जरूरतमंद परिवार इसका लाभ उठा सके।

सोशल मीडिया पर इस योजना की मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं – कुछ इसे उत्साहवर्धक सामाजिक कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसे आर्थिक और सामाजिक दबाव की दृष्टि से देख रहे हैं।

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