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दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना देना सामान्य घटना नहीं है, क्या फिर गुल खिलाएंगे प्रशांत किशोर

 

प्रशांत किशोर का सिक्का जमता ही जा रहा है। चुनावी राजनीति का यह धुर खिलाड़ी वक्त के साथ-साथ किवदंती बनता जा रहा है। पंजाब में काशीराम कुल के चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने की घटना तो बस बानगी है। वह जिस ताल और लय के साथ बढ़ रहे हैं इससे इनका 2024 के आम चुनाव में विपक्ष की सियासत की धुरी बनना तय है। प्रशांत किशोर और कन्हैया कुमार जल्द ही घोषित तौर पर कांग्रेस में शामिल होने जा रहे है। अघोषित तौर पर तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ठुकराए जाने के बाद से ही कर रहे हैं।

पहले प्रशांत को ज्यादातर मौकों पर अंडर इस्टीमेट किया जाता रहा। जवाब में इसने हर बार की सफलता से अंडर इस्टीमेट करने वालों को हतप्रभ करने का काम किया। चाहे वह 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी को पहली बार 300+ लोकसभा सीट दिलाने की बात हो,2015 में नीतीश कुमार को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनवाने की बात तो,2017 में पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री बनवाने, आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को धूल धूसरित और जगन को शान से मुख्यमंत्री बनवाने में सफल रहे। ताजातरीन मामला पश्चिमबंगाल का है।

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प्रशांत की सफलताओं को देख कर यकीन ही नहीं होता कि हाड़ मांस का एक व्यक्ति दुनिया के सबसे लोग सबसे बड़े लोकतंत्र के चुनाव व्यवस्था को मनचाही मुद्रा में प्रभावित कर ले रहा है। जो 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने की कोशिश में लगा था हुआ

पंजाब में काशीराम के कुल के चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना देना सामान्य घटना नहीं है। यह संकेत है कि विपक्ष गोलबंद हो रहा है। तैयारी 2024 के आम चुनाव की है। उससे पहले गुजरात,उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनाव सेमीफाइनल है।

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