ED ने मनीष सिसोदिया सहित कई आरोपियों की 52 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को किया जब्त
Manish Sisodia Assets Attached: दिल्ली आबकारी नीति केस में ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई के गवाह दिनेश अरोड़ा को गिरफ्तार किए जाने के अगले दिन पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित कई आरोपियों के 52 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की संपत्तियों को अटैच कर लिया है। मनीष सिसोदिया काफी दिनों से इस केस में जेल में हैं और दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत से इनकार कर दिया है। बता दें कि17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति लॉन्च हुई। इसमें बीजेपी ने घोटाला होने के आरोप लगाए।आरोप है कि शराब कारोबारियों को लाइसेंस देने की नीति से कुछ डीलरों को लाभ मिला। इसके लिए डीलरों ने कथित रूप से रिश्वत दी थी। CBI ने मामले में 16 लोगों पर FIR दर्ज की, सिसोदिया को आरोपित नंबर 1 बनाया।
संपत्तियों को किया है ईडी ने अटैच
आबकारी नीति केस की जांच कर रही ईडी ने पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया सहित कई लोगों की संपत्तियों को कुर्क किया है। इन संपत्तियों की कीमत 52 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी सीमा की भी दो संपत्तियों को जब्त किया गया है। इसके अलावा दोनों के बैंक खातों में जमा करीब 11 लाख रुपये भी सीज कर दिया गया है। जब्त की गई संपत्तियों में अमनदीप सिंह ढल्ल, राजेश जोशी, गौतम मल्होत्रा और कुछ अन्य की संपत्तियां शामिल हैं।
15 के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज किया था केस
अगस्त 2022 में सीबीआई ने दिल्ली नई एक्साइज पॉलिसी केस में कथित अवैध लेनदेन के मामले में केस दर्ज करते हुए 8 लोगों के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया था। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया सहित 15 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बीते साल इस मामले को सीबीआई को सौंपे जाने की सिफारिश की थी।
आखिर क्या है मामला?
चीफ सेक्रेट्री के द्वारा भेजी गई जिस रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने नई आबकारी नीति की सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे, उसमें दिल्ली सरकार और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया पर मुख्यत से ये आरोप लगाए गए थे। कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए शराब बेचने वाली कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई।एल-1 के टेंडर में शामिल एक कंपनी की 30 करोड़ रुपये की अर्नेस्ट डिपॉजिट मनी कंपनी को वापस कर दी गई।विदेशी शराब और बियर के केस पर मनमाने ढंग से 50 रुपये प्रति केस की छूट दी गई, जिसका फायदा कंपनियों ने उठाया।एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी को दो जोन के ठेके दे दिए गए।कार्टल पर पाबंदी के बावजूद शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टल को लाइसेंस दिए गए।बिना एजेंडा और कैबिनेट नोट सर्कुलेट कराए कैबिनेट में मनमाने तरीके से प्रस्ताव पास करवाए गए। शराब विक्रेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए ड्राई डे की संख्या 21 से घटाकर 3 की गई।मास्टर प्लान के नियमों का उल्लंघन करते हुए नॉन कन्फर्मिंग इलाकों में शराब के ठेके खोलने की इजाजत दी गई।ठेकेदारों का कमीशन 2.5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया।दो जोनों में शराब निर्माता कंपनी को रिटेल सेक्टर में शराब बेचने की इजाजत दी गई। एलजी की मंजूरी लिए बिना दो बार पॉलिसी को एक्सटेंड किया और मनमाने तरीके से डिस्काउंट ऑफर दिए गए, जिससे कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचा।नई पॉलिसी लागू करने में जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया।टेंडर जारी होने के बाद 2021-22 में लाइसेंस हासिल करने वालों को कई तरह के गैरवाजिब लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर तय प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया।
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