Manish Sisodia के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक और केस हुआ दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?

 
Manish Sisodia के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक और केस हुआ दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?

केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री Manish Sisodia के खिलाफ भ्रष्ट्राचार का मामला दर्ज कर जांच करनी की मंजूरी दी है. ये मंजूरी दिल्ली सरकार की Feed Back Unit-FBU के गठन और उसमें की गई अवैध नियुक्तियों में हुए भ्रष्ट्राचार को लेकर की गई है.

इस मामले में सीबीआई ने नवंबर 2016 में प्राथमिकी दर्ज कर अपनी जांच शुरू की थी और पाया था कि इस यूनिट को बनाने में भ्रष्टाचार किया गया है और नियमों को ताक पर रख कर इस यूनिट का गठन किया गया है. ये जांच सीबीआई ने तत्कालीन डिप्टी सेक्रेटरी विजिलेंस दिल्ली सरकार केएस मीणा की शिकायत पर की थी.

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Manish Sisodia पर लगाए जा रहे झूठे आरोप- केजरीवाल

सीबीआई द्वारा फीडबैक यूनिट मामले में मनीष सिसोदिया के खिलाफ 'एफआईआर' दर्ज करने के मामले पर अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है. अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट में लिखा है, 'प्रधानमंत्री द्वारा मनीष सिसोदिया के खिलाफ कई झूठे मामले थोपकर, उन्हें लंबे समय तक जेल में रखने की योजना'..'ये देश के लिए दुखद'. इससे पहले भलस्वा लैंडफिल साइट पर निरीक्षण कर रहे अरविंद केजरीवाल से जब मनीष सिसोदिया के खिलाफ एक और FIR पर पूछा गया तो उन्होंने कहा,  'हम अभी कूड़े पर बात कर रहे हैं, लेकिन वो भी कूड़ा ही है.'

https://twitter.com/ArvindKejriwal/status/1636262886225104896?s=20

यह है पूरा मामला

दिल्ली सरकार ने फरवरी 2016 में दिल्ली सरकार के अधिन काम करने वाले कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और कामकाज पर नजर रखने के लिए Feed Back Unit का गठन किया था. इसके लिए दिल्ली सरकार की केबिनेट मीटिंग 29 सितंबर 2015 में FBU के गठन की मंजूरी दी गई थी और उसके बाद तत्कालीन सेक्रेटरी विजिलेंस ने 28 अक्टूबर 2015 को दिल्ली के मुख्यमंत्री को FBU गठन का प्रपोजल दिया, जिसे मंजूर किया गया.

इस नोट के मुताबिक FBU सेक्रेटरी विजिलेंस को रिपोर्ट करेगी. फरवरी 2016 में इस यूनिट का गठन किया गया. इस यूनिट में शुरूआत में 20 भर्तियां की जानी थी, जिसके लिए दिल्ली सरकार के उधोग विभाग की 22 पोस्ट को खत्म कर के लिया जाना था, लेकिन बाद में दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्यूरो की 88 पोस्ट में से 20 भर्तियां FBU में करने की बात हुई, क्योंकि ACB भी विजेलेंस विभाग के अधिन काम करता है. हालांकि, ACB में जिन 88 पोस्ट भरने की बात की जा रही थी, उसका भी सिर्फ प्रपोजल था और LG की तरफ से मंजूरी नहीं ली गई थी.

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