मंगलवार व्रत: हनुमान जी के व्रत की विधि और कथा
हनुमान जी के नाम की महिमा अत्यंत फलदाई मानी गई है, हनुमान जी भगवान शंकर का 11वां अवतार हैं. हनुमान जी के भक्तों को मंगलवार के दिन मांस मदिरा का सेवन और स्त्री संसर्ग से बचना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार जो जातक इनकी सेवा व व्रत करता है. उस पर बजरंगबली की विशेष कृपा बनी रहती है. आइए जानते हैं मंगलवार व्रत की विधि और कथा के बारे में-
विधि एवं महत्व
हनुमान चालीसा में लिखा है कि संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरे हनुमत बलबीरा आस्था जो भक्त हनुमान जी का अपमान करता है उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है हनुमान जी की पूजा में स्वच्छता और ब्रह्मचारी का विशेष ध्यान रखाना चाहिए.
-सर्वप्रथम सूर्योदय से पूर्व उठकर अपने दैनिक कार्यों को निपटा कर, भगवान बजरंगबली का ध्यान करें और 21 या अपनी मन्नत अनुसार व्रत रखने का संकल्प करें.
-घर व पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र कर लें.
-घर के ईशान कोण में शांत होकर हनुमान जी की स्थापना करें.
-मूर्ति स्थापित करते समय लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल करें.
-लाल, फूल, सिंदूर, चमेली का तेल चढ़ाने के साथ घी का दीपक जलाना उत्तम माना जाता है.
-हनुमान चालीसा सुंदरकांड का पाठ करें.
-इसके बाद 21 लड्डू का भोग लगाएं. सभी को प्रसाद बांट दें और स्वयं भी ग्रहण करें.
-यदि संभव हो तो दान करें इस दिन दान का विशेष महत्व होता है.
-शाम के समय भी बजरंगबली के मंदिर में जाकर या घर पर ही चमेली के तेल का दीपक जलाकर, आरती करें.
-इसी प्रकार 21 मंगलवार होने पर 22वे मंगलवार को उद्यापन करें.
-21 ब्राह्मणों को भोजन करवा कर दान दक्षिणा दें.
-उसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें.
-इस दिन मां अंजनी और पिता केसरी के जयकारों से भी हनुमान जी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं.
-बजरंग बाण का पाठ करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है. और समस्त बाधाएं दूर हो जाती हैं.
-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार के दिन व्रत रखने वालों की कुंडली के सभी ग्रह शांत हो जाते हैं.
-संतान प्राप्ति के लिए बजरंगबली का व्रत विशेष फलदाई माना जाता है.
हनुमान जी के व्रत की कथा
एक ब्राह्मण पति-पत्नी श्रद्धा भाव के साथ संतान प्राप्ति के लिए हनुमान जी का पूजन करते थे. कई मंगलवार का व्रत और भोग लगाने के बाद बजरंगवली जी की भगवान शंकर का 11वां अवतार हैं. हनुमान जी के भक्तों को मंगलवार के दिन मांस मदिरा का सेवन और स्त्री संसर्ग से बचना चाहिए. कृपा से ब्राह्मण के घर में पुत्र का जन्म हुआ. ब्राह्मणी ने खुश होकर उसका नाम मंगल रखा. ब्राह्मण वन में बजरंगवली जी की पूजा करती था. जब वह कुछ दिनों बाद घर आया, तो ब्राह्मण ने लड़की को देखकर ब्राह्मणी से पूछा कि यह किसका बच्चा है तो ब्राह्मणी ने कहा स्वामी यह हमारा बेटा मंगल है. ब्राह्मण को विश्वास नहीं हुआ और एक दिन उन्होंने मौका देखकर बच्चे को कुएं में फेंक दिया. जब ब्राह्मणी ने उसका हाल पूछा तो लड़का दौड़ता हुआ आ गया. जिसे देखकर ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गया. ब्राह्मण ब्राह्मणी अपने पुत्र मंगल के साथ सुख पूर्वक रहने लगे.
इसी प्रकार जो जातक हनुमान जी की आराधना सच्चे भाव से करता है उसके अपार कष्ट नष्ट हो जाते हैं.
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