Mirapur Bypolls: आरएलडी की नई रणनीति, जयंत चौधरी का पाल समाज पर दांव

Mirapur Bypolls: उत्तर प्रदेश में अगले महीने होने वाले 9 विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन कर रही है, जबकि बीजेपी ने राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। सभी की निगाहें मीरापुर सीट पर टिकी हैं, जो आरएलडी के खाते में आई है।
जयंत चौधरी का राजनीतिक प्रयोग
केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने मीरापुर सीट पर खतौली उपचुनाव के समान एक सियासी प्रयोग किया है। मीरापुर, जो मुस्लिम-जाट-गुर्जर बहुल मानी जाती है, में उन्होंने मिथलेश पाल को प्रत्याशी बनाया है। खतौली में जाट-सैनी बहुल इलाके से गुर्जर प्रत्याशी उतारकर उन्होंने बीजेपी को मात दी थी, और अब मीरापुर में पाल समाज के जरिए ऐसा ही परिणाम दोहराने की कोशिश की जा रही है।
आरएलडी की चुनावी रणनीति 2022 में सपा ने चुनाव नहीं लड़ा था और आरएलडी के लिए यह सीट छोड़ दी थी। तब आरएलडी मुस्लिम-जाट-गुर्जर समीकरण के आधार पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी। लेकिन अब जब आरएलडी बीजेपी के साथ है, तो मुस्लिम वोट मिलना मुश्किल होता नजर आ रहा है। इसी कारण जयंत ने पाल समाज के मिथलेश पाल को उम्मीदवार बनाया है, जिससे जाट-पाल और गुर्जर को एकजुट कर जीतने की रणनीति बनाई गई है।
जाट समुदाय की नाराजगी
मीरापुर सीट पर जीतने की हरसंभव कोशिश में जुटी आरएलडी के लिए जाट समुदाय की नाराजगी एक बड़ी चिंता का विषय है। हाल ही में मीरापुर में जाट समुदाय ने एक पंचायत बुलाई थी, जिसमें जाट प्रत्याशी न बनाए जाने का मुद्दा उठाया गया। सर्वेंद्र राठी ने कहा कि आरएलडी ने बीजेपी से गठबंधन कर जाट समुदाय का अधिकार खो दिया है।
गुर्जर वोटों में बिखराव का खतरा आरएलडी के जाट प्रत्याशी न उतारने के निर्णय के चलते गुर्जर वोटों में भी बिखराव का खतरा उत्पन्न हो गया है। पहले से ही दलित और मुस्लिम समुदाय आरएलडी से दूरी बना चुके हैं। विभिन्न पार्टियों ने मुस्लिम उम्मीदवार उतार रखे हैं, जिससे यदि मुस्लिम वोट एकजुट हो गए, तो आरएलडी के लिए सियासी दबदबा बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।