Modi Government के 10 साल, मध्य वर्ग को राहत, अमीरों से बढ़ी टैक्स वसूली
Modi Government के 10 साल के कार्यकाल में 20 लाख रुपये सालाना से कम आय वाले व्यक्तियों पर कर का बोझ घटा है, जबकि 50 लाख रुपये या उससे अधिक की आय वाले व्यक्तियों द्वारा किए जाने वाले कर भुगतान में वृद्धि हुई है।
मध्य वर्ग के लिए राहत: कर का बोझ घटा
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने मध्य वर्ग, खासकर उन व्यक्तियों के लिए जो सालाना ₹20 लाख से कम कमाते हैं, कर का बोझ घटा दिया है। वहीं दूसरी ओर, ₹50 लाख या उससे अधिक की आय वाले व्यक्तियों पर कर का बोझ बढ़ा है। सूत्रों के अनुसार, 50 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय दिखाने वाले व्यक्तियों की संख्या 2013-14 में 1.85 लाख से बढ़कर 2023-24 में 9.39 लाख हो गई है।
अमीरों से टैक्स वसूली में वृद्धि
जो लोग ₹50 लाख से अधिक कमाते हैं, उनकी आयकर देनदारी 3.2 गुना बढ़ी है, 2014 में यह ₹2.52 लाख करोड़ थी, जो 2024 में बढ़कर ₹9.62 लाख करोड़ हो गई है। आयकर रिटर्न (ITR) के आंकड़ों के अनुसार, 76% आयकर उन व्यक्तियों से आ रहा है जो ₹50 लाख से अधिक कमाते हैं, जिससे मध्य वर्ग पर कर का बोझ कम हुआ है।
मध्य वर्ग पर कम कर बोझ
2014 में ₹2 लाख सालाना से अधिक कमाने वालों को आयकर देना पड़ता था। हालांकि, मोदी सरकार द्वारा घोषित विभिन्न छूटों और कटौतियों के कारण अब ₹7 लाख तक की आय वालों को कोई कर नहीं देना पड़ता। ₹10 लाख से कम कमाई करने वालों से कर संग्रह का प्रतिशत 2014 में 10.17% से घटकर 2024 में 6.22% हो गया है।
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औसत कर देनदारी और योगदान
2023-24 में ₹2.5 लाख से ₹7 लाख के बीच आय करने वालों की औसत कर देनदारी ₹43,000 थी, जो उनकी आय का लगभग 4-5% है। यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है। इसके साथ ही, व्यक्तिगत स्तर पर दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या 10 साल में 121% बढ़कर 2023-24 में 7.97 करोड़ हो गई, जो 2013-14 में 3.60 करोड़ थी।
निष्कर्ष: कर अनुपालन की ओर बदलाव
अमीरों से बढ़ी टैक्स वसूली और मध्य वर्ग को दी गई राहत, मोदी सरकार के प्रयासों को दर्शाती है ताकि कर अनुपालन सुनिश्चित हो सके और काले धन पर रोक लगे। आयकर दाखिल करने की बढ़ती संख्या और कम आय वाले समूहों के लिए कर बोझ में कमी से यह दिखता है कि सरकार की नीतियां अधिक समावेशी और पारदर्शी हो रही हैं।