मुख़्तार अंसारी: जानिए कहानी उस बाहुबली की जिसके नाम से थर्राता है पूर्वांचल

 
मुख़्तार अंसारी: जानिए कहानी उस बाहुबली की जिसके नाम से थर्राता है पूर्वांचल

चुनाव आते हैं तो राजनीति और अपराध जगत का आत्मीय संबंध भी सुर्खियों में आ जाता है। उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन पर कई ऐसे नेता उपजे हैं। जिन्होंने इस सूबे की राजनीति को प्रभावित किया है। यूपी का पूर्वांचल ऐसे ही प्रभावी नेताओं का गढ़ माना जाता है ।

आज बात करेंगे उनमें से एक ऐसे शख्स की जिसका अपराध की दुनिया से लेकर राजनीति की दुनिया तक दबदबा है, बात करेंगे उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की।

मुख्तार अंसारी

पूर्वांचल से यू तो कई नेता आए लेकिन एक ऐसा भी नेता इस क्षेत्र से आया जो अपराध की दुनिया से राजनीति में आकर पूर्वांचल का रॉबिनहुड बन गया। उस बाहुबली नेता का नाम है मुख्तार अंसारी। प्रदेश के माफिया नेताओं में मुख्तार अंसारी का नाम पहले पायदान पर लिया जाता है।

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मुख्तार अंसारी भी पूर्वांचल में बाहुबली नेता के तौर पर जाना जाता है। मऊ विधानसभा क्षेत्र में रिकॉर्ड चार बार से विधानसभा के एक सदस्य के रूप में निर्वाचित हो चूका है।

अंसारी ऊपर बीजेपी के बाहुबली नेता कृष्णानंद राय की हत्या करवाने का आरोप है। हालांकि इस मामले में दोष सिद्ध नहीं हो सका है। कभी माफिया बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के बीच शुरू हुई दुश्मनी से पूर्वांचल की धरती लाल हो गई थी। हालांकि दोनों गुटों के बीच हुए एक मुठभेड़ में बृजेश सिंह की मौत की खबर आई। लेकिन कई सालों के बाद बृजेश सिंह को नाटकीय अंदाज में जिंदा पकड़ लिया गया। अंसारी का कब्जा अब ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब और रेलवे ठेकेदारी में है। जिसके दम उसने बहुत बड़ा व्यवसाय खड़ा किया है। अब वह पूरी तरह राजनीति में सक्रिय है।

2014 के लोकसभा चुनाव में उसकी हर चाल ने प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी और और पूरी टीम को परेशान करके रख दिया था।

अपराध की दुनिया में कदम

1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में मुख्तार का नाम सामने आया था। हालांकि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस नहीं जुटा पाई थी। लेकिन इस बात को लेकर वह चर्चाओं में आ गए थे।

1990 का दशक मुख्तार अंसारी के लिए बड़ा अहम था। छात्र राजनीति के बाद जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से वह अपराध की दुनिया में कदम रख चुके थे। पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था।

2005 से हैं जेल में बंद है अंसारी

अक्टूबर 2005 में मऊ जिले में हिंसा भड़की। इसके बाद उसपर कई आरोप लगे, हालांकि वे सभी खारिज हो गए।

इसी दौरान कृष्णानंद राय से मुख्‍तार के भाई अफजल अंसारी चुनाव हार गए। मुख्तार पर यह आरोप लगा कि‍ उसने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी और बाबू की मदद से 5 साथियों सहि‍त कृष्णानंद राय की हत्या करवा दी। उसी दौरान अंसारी ने गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, तभी से वह जेल में बंद है।

2010 में अंसारी पर राम सिंह मौर्य की हत्या का आरोप लगा। राम सिंह मौर्य, मन्नत सिंह नामक एक स्थानीय ठेकेदार की हत्या का गवाह था। मुख्तार और उनके दोनों भाइयों को 2010 में बहुजन समाज पार्टी ने निष्कासित कर दिया।

राजनीति में पहला कदम और गैंगवार

1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा। अगले ही साल मुख्तार अंसारी पहली बार विधान सभा के लिए चुना गया। उसके बाद से ही उन्होंने ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया। 2002 आते आते इन दोनों के गैंग ही पूर्वांचल के सबसे बड़े गिरोह बन गए। इसी दौरान एक दिन ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया। दोनों तरफ से गोलीबारी हुई इस हमले में मुख्तार के तीन लोग मारे गए। ब्रजेश सिंह इस हमले में घायल हो गया था, उसके मारे जाने की अफवाह थी। इसके बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले गैंग लीडर बनकर उभरा मुख्तार अब चौथी बार से विधायक हैं।

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