मुंबई का कचरा पहाड़, जहां लोग ज़िंदगी और बदलाव की लड़ाई लड़ रहे हैं

मुंबई के चमकते शहर से दूर, एशिया के सबसे बड़े और भारत के सबसे पुराने लैंडफिल में से एक, डनार डंपिंग ग्राउंड में करीब 2 लाख लोग रहते हैं। यह इलाका लगभग 200 फुटबॉल मैदानों के बराबर फैला हुआ है, लेकिन यहाँ कचरे से ज़्यादा लोग बसते हैं—जो गरीबी, बीमारी और उपेक्षा से जूझते हुए अपने जीवन को बेहतर बनाने का सपना देख रहे हैं।
बदहाल हालात, नाजुक जीवन
यहाँ रहने वाले लोग नीले टिन की चादरों से घर बनाते हैं जो मानसून में मुश्किल से टिक पाते हैं। एक छोटे से कमरे में छह-सात लोगों का परिवार रहता है। बरसात में गलियाँ सीवर का रूप ले लेती हैं और लोग पुराने दरवाजों या लकड़ी की पट्टियों का सहारा लेते हैं ताकि गंदगी में पैर न रखना पड़े।
बुज़ुर्ग और दिव्यांगों के लिए हालात और भी मुश्किल हैं। एक पोलियो से पीड़ित महिला ने बताया कि कैसे वह अक्सर टूटे नालों में गिर जाती हैं क्योंकि उनके लिए चलना बेहद मुश्किल हो जाता है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट
डनार में रहने वालों की औसत आयु राष्ट्रीय औसत से लगभग आधी है। 40 साल की उम्र पार करना दुर्लभ है। मलेरिया, टाइफॉइड और त्वचा संक्रमण आम हैं। पानी दिन में सिर्फ दो घंटे के लिए आता है और वह भी लाल या पीले रंग का, क्योंकि पानी की पाइपें सीवर लाइनों के पास से गुजरती हैं, जिससे गंदगी मिक्स हो जाती है।
रोज़ की ज़िंदगी खतरे से भरी है। वेस्ट पिकर्स अक्सर दुर्घटना का शिकार होते हैं—कईयों ने हाथ-पैर खो दिए हैं या डोज़र से कुचल दिए गए।
नशे की लत और युवाओं का अंधकार
नशे की लत एक गंभीर समस्या है, खासकर युवाओं में। व्हाइट करेक्टर फ्लूइड से लेकर गांजा और अन्य ड्रग्स तक सब आसानी से मिल जाते हैं। नशे के कारण हिंसा और गरीबी बढ़ती जा रही है। एक महिला ने बताया कि कैसे उसके पिता की एक आंख नशे से जुड़ी लड़ाई में चली गई।
उम्मीद की किरणें: शिक्षा और रचनात्मकता
इन कठिनाइयों के बीच भी कुछ लोग उम्मीद नहीं छोड़ते। महिलाएं कपड़ों पर सिक्विन सिलकर 6 से 8 रुपये कमाती हैं। रैगपिकर्स रोज़ करीब ₹40 कमाते हैं।
यहाँ एक ट्यूशन सेंटर भी है जहाँ 100 से ज़्यादा बच्चे पढ़ते हैं। कुछ युवा रैप के ज़रिए अपनी आवाज़ उठा रहे हैं, ताकि उनकी कहानियाँ बाहर की दुनिया तक पहुँच सकें।
सरकार की योजना और विवाद
BMC ने 300 में से 124 एकड़ भूमि को साफ़ करने की योजना बनाई है, लेकिन इसमें डनार के निवासियों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का कोई ज़िक्र नहीं है। बल्कि, रिपोर्ट्स में कहा गया है कि धारावी से लोगों को यहाँ शिफ्ट करने की योजना है—जिससे भीड़ और बदहाली और बढ़ेगी।
निष्कर्ष: बदलाव की उम्मीद
डनार को अक्सर अपराध और गंदगी के तौर पर देखा जाता है, लेकिन यह हजारों मेहनती और सपने देखने वाले लोगों का घर है। जैसा कि एक निवासी ने कहा, "अगर कीचड़ में कमल खिल सकता है, तो यहाँ बदलाव क्यों नहीं आ सकता?"
मुंबई के डनार डंपिंग ग्राउंड का भविष्य न सिर्फ नगरपालिका की योजनाओं में, बल्कि हमारे नजरिए और समर्थन में भी छिपा है।