Maharashtra: क्या मुंबई महाराष्ट्र से अलग होगी? उद्धव ठाकरे ने विवादित प्रस्ताव को रद्द करने का किया वादा
Maharashtra: राजनीति में मुंबई के दर्जे को लेकर बहस तेज हो गई है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने नीति आयोग पर मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। मुंबई में एक रैली को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि वह इस कथित कदम को रोकेंगे और किसी भी ऐसे समझौते को रद्द करेंगे जो बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के महत्व को कम करता है।
नीति आयोग पर ठाकरे का निशाना
उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाया कि मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) के विकास के लिए नीति आयोग का ब्लूप्रिंट BMC के महत्व को कम करने के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने इसे मुंबई की भूमिका को महाराष्ट्र के भीतर कमजोर करने की साजिश बताया।
"नीति आयोग मुंबई के विकास में BMC की भूमिका कम करना चाहता है। मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन के लिए उनकी योजना स्वीकार्य नहीं है और इसे सफल नहीं होने दिया जाएगा," ठाकरे ने कहा।
समझौते रद्द करने का वादा
ठाकरे ने यह भी कहा कि यदि महा विकास अघाड़ी (MVA) सत्ता में आती है, तो वे उन समझौतों को रद्द कर देंगे जो BMC को दरकिनार करने के लिए मौजूदा सरकार ने किए हैं। उन्होंने सितंबर में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) और मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) के बीच हुए समझौते का विशेष उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य MMR को एक वैश्विक आर्थिक केंद्र बनाना है।
"यह समझौता BMC के महत्व को कम करने और मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश का हिस्सा है। हम इस समझौते को रद्द कर देंगे," ठाकरे ने कहा।
नीति आयोग के प्रस्ताव का विवरण
नीति आयोग ने मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन के विकास के लिए एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें 2030 तक GDP को $300 बिलियन तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
प्रमुख विवरण:
वर्तमान GDP: $140 बिलियन
प्रति व्यक्ति आय: ₹4,36,000
2047 तक अनुमानित GDP: $1.5 ट्रिलियन
2012-2020 के बीच वृद्धि दर: 6.1%
WEF के साथ यह समझौता MMR को वैश्विक मंचों पर बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने के लिए किया गया है। राज्य सरकार का दावा है कि यह सहयोग महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा।
MVA का प्रस्ताव के खिलाफ रुख
ठाकरे ने मौजूदा सरकार की नीतियों को "विनाशकारी" करार दिया और उन्हें पलटने का वादा किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि MVA विकास के खिलाफ नहीं है, बल्कि ऐसे किसी भी कदम का विरोध करती है जो महाराष्ट्र की एकता को कमजोर करता है या BMC जैसे आर्थिक केंद्रों की भूमिका कम करता है।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
मुंबई न केवल महाराष्ट्र की राजधानी है, बल्कि राज्य की आर्थिक रीढ़ भी है। किसी भी प्रस्ताव को जो मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की कोशिश करता है, बड़े राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव हो सकते हैं।
नीति आयोग के प्रस्ताव पर उठे विवाद ने मुंबई की महाराष्ट्र की पहचान और शासन में उसकी भूमिका को लेकर संवेदनशीलता को उजागर किया है।