150 जवानों का कातिल, 1 करोड़ का इनामी: नक्सली सरगना बसवराजू का 70 घंटे के ऑपरेशन में अंत

रायपुर/अबूझमाड़। छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के घने जंगलों में सुरक्षा बलों को नक्सल विरोधी अभियान में अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी मिली है। CPI (माओवादी) के महासचिव और सबसे खूंखार नक्सली नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को एक 70 घंटे लंबे ऑपरेशन में ढेर कर दिया गया। यह माओवादी नेटवर्क के लिए एक ऐसा झटका है जिससे उबरना आसान नहीं होगा।
इस संयुक्त ऑपरेशन में नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव की डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड, STF और अन्य इकाइयों ने हिस्सा लिया। मुठभेड़ में 27 नक्सली मारे गए, जिसमें बसवराजू सबसे अहम नाम है।
चार दशकों तक जंगल का सबसे खतरनाक मास्टरमाइंड
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1 करोड़ का इनामी, कई राज्यों में अलग-अलग इनाम
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1970 के दशक में नक्सली आंदोलन से जुड़ा
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1992 में पीपुल्स वार ग्रुप की केंद्रीय समिति का सदस्य बना
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2018 में बना CPI माओवादी का महासचिव
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गुरिल्ला युद्ध, IED, बारूदी सुरंगों का मास्टर
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लेकिन राजनीतिक नेतृत्व की समझ में कमजोर
बसवराजू का सफर: बीटेक इंजीनियर से नक्सली नेटवर्क का रणनीतिकार
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जन्म: जियान्नापेटा गांव, श्रीकाकुलम, आंध्र प्रदेश
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शिक्षा: वारंगल इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक
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कोडनेम: प्रकाश, कृष्णा, उमेश, विजय, कमलू
"बसवराजू सैन्य रणनीतिकार था, पर राजनीतिक दृष्टि नहीं थी। उसकी मौत माओवादी आंदोलन की रीढ़ टूटने जैसी है।"
– प्रो. डॉ. गिरीशकांत पांडे, सुरक्षा विशेषज्ञ
बसवराजू के नेतृत्व में हुए बड़े नक्सली हमले:
वर्ष | हमला | विवरण |
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2003 | अलीपीरी हमला | चंद्रबाबू नायडू की हत्या का प्रयास |
2010 | दंतेवाड़ा हमला | 76 CRPF जवान शहीद |
2013 | झीरम घाटी हमला | 27 कांग्रेस नेता मारे गए |
2019 | श्यामगिरी हमला | BJP विधायक समेत 5 की मौत |
2020 | मिनपा एंबुश | सुकमा में 17 सुरक्षाकर्मी शहीद |
2021 | टेकलगुड़ेम हमला | बीजापुर में 22 जवान शहीद |
ऑपरेशन की रणनीति: कैसे टूटा सुरक्षा घेरा?
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खुफिया सूचना मिली थी कि बसवराजू और माओवादी पोलित ब्यूरो के सदस्य अबूझमाड़ में हैं
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ऑपरेशन में 70 घंटे तक घेराबंदी और भारी गोलीबारी
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डीआरजी का एक जवान शहीद, कुछ घायल
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हथियार, बारूद, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद
नक्सली नेटवर्क को तगड़ा झटका
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बसवराजू के जाने से माओवादी संगठन का अनुभवी नेतृत्व समाप्त
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मौजूदा नेतृत्व या तो अत्यधिक बुजुर्ग या अनुभवहीन
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भविष्य में बिखराव और ऑपरेशनल विफलता की संभावना
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सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह मनोरथीय बढ़त साबित हो सकती है