Mahatma Gandhi की 152वीं जयंती पर जानिए उनकी ज़िदंगी का 'मोहन से महात्मा' बनने तक का सफर
2nD Oct Special
वकालत के वो माहिर थे।।
अहिंसा उनका जाप।।
सह गए वो सभी संघर्ष।।
भारत को दे गए स्वतंत्रता का नाम।।
अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस सुनकर घबराइए नहीं, हम बात कर रहे हैं 2 अक्टूबर की जिसे आप सभी महात्मा गांधी की जयंती के रुप में मनाते हैं। देश के बापू और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 152 जयंती है। भारत को आज़ादी दिलान के लिए महात्मा गांधी ने अपनी ज़िदंगी में कड़े संघर्षों को सहा, और भारत को अंग्रेज़ों से मुक्त कराया। महात्मा गांधी का पुरा नाम मोहन दास करम चंद गांधी था
*लेकिन क्या आप सभी जानतें हैं उनके मोहन से महात्मा गांधी और राष्ट्रपिता बनने तक का सफर?
इतना ही नहीं उनसे जुड़े 7 ऐसे बड़े तथ्य जिसके बारे में आप सभी ने कभी नहीं सुना ।
अगर ज़िदंगी में करना चाहतें हैं तरक्की तो गांधी के यह दो मंत्र आपकी ज़िदंगी में बहुत बड़ा बदलाव लगा सकतें हैं।
तो बस आज इस मौके पर हमारा यह वीडियो पूरा ज़रुर देखिएगा। क्युकिं इन सभी चीज़ों की जानकारी आज हम आप सभी तक पहुंचाएंगे।।
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। अब आप सभी इस इक्तेफाक को ज़रा गौर से सुनिएगा। बापू का जन्म शुक्रवार को हुआ था, जिस दिन हमारा देश आज़ाद हुआ था वह दिन भी शुक्रवार ही था। और जिस दिन महात्मा गांधी ने हमारे देश को अलविदा कहा उस दिन भी शुक्रवार ही था।।
अब नज़र डालते हैं कुछ रोचक तथ्यों पर।।
1* महात्ंमा गांधी एक सच्चे और नेक इंसान थे, जिनके लिए अहिंसा एक पूजा के समान थी। जिनके अंदर किसी भी तरह का लालच नहीं था। यहां तक कि वकालत उनका पेशा था लेकिन फिर भी वह किसी गल्त व्यक्ति के लिए केस नहीं लड़ते थे। वह उस ही का साथ देते थे जिसका झुकाव सत्य की ओर रहता था।।
2* रवीन्द्र नाथ टैगोर ने उन्हें सबसे पहले महात्मा की उपाधी दी धी, जिससे वह मोहन दास कर्म चंद गांधी से सीधा महात्मा गांधी कहलाए।
3* गांधी जी को अंधेरे व भूत-प्रेत से भी डर लगता था। लेकिन उनका यह डर भी उनके घर में काम करने वाली नौकरानी ने हमेशा के लिए दूर कर दिया। जब वह बहुत कम उम्र के थे और स्कूल में पढ़ाई करते थे, तब मोहन अपने घर के कमरे में थे और उन्हें बाहर जाना था लेकिन बाहर कुछ ज्यादा ही अंधेरा था, और उनके मन में ख्याल आने लगे कि अगर वे बाहर गए तो कही भूत-प्रेत उन्हें न दिख जाएं, जैसे तैसे वे हिम्मत करके बाहर गए, लेकिन उन्होनें महसूस किया कि शायद कोई उनके पीछे खड़ा है, वह बुरी तरह घबराकर मुड़कर देखते हैं तो उनके पीछे उनकी नौकरानी खड़ी होती है जिसे वे दाई कहकर पुकारते थे। दाई ने उनका डर भांप लिया था और उनसे कहा कि जब कभी तुम्हे कोई चीज़ सताए और डर लगे तो राम का नाम लेना इससे तुम्हें हिम्मत मिलेगी।।
- गांधी जी की हत्या साल 1948 को बिरला भवन के बगीचे में हुई थी, जब नाथुराम गोडसे ने उन्हें गोली मार दी थी। कहतें हैं कि उनकी मौत से पहले उनके मुंह से हे राम निकला था।
- जब बापू की मौत हुई थी तो करीब 10 लाख लोग शव यात्रा में शामिल हुए थे, यहां तक कि सामने राह पर 15 लाख लोग यात्रा के रास्ते में खड़े हुए थे। उनकी शव यात्रा भारत के इतिहास में सबसे बड़ी शव यात्रा थी। क्युकि इतिहास में वह दिन भारत के लिए काला भी कहा जा सकता है। और बाद में इस दिन को शहीद दिवस के रुप में मनाया जाने लगा।
6* महात्मा गांधी ने 4 महाद्वीपों में और 12 देशों में नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलन किया था।
स्वतंत्र प्राप्ति होने के बाद जब बापू के पास कुछ अंग्रेज रिुपोर्ट्स इंटरव्यू के लिए आए थे, लेकिन उन रिपोर्टर्स को बापू ने हिंदी में जवाब देते हुए कहा कि अब मेरा देश अंग्रेज़ों के शासन से मुक्त होकर आज़ाद हो गया है इसलिए अब मैं सिर्फ हिंदी भाषा ही बोलूंगा।
7* सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि दी थी। जिसके बाद वे देश के राष्ट्रपिता भी कहलाए।।
माना के अब समय काफी हद तक आगे बढ़ चुका है लेकिन महात्मा गांधी जैसी सोच वाले लोग आज भी आपको देखने को ज़रुर मिल जाएंगे।
अब हम आपको गांधी के वो दो यंत्र भी बताएंगे जिसकी सीख वे हमेशा से सभी को देते थे, तो कृपया ध्यान से सुनिएगा।
मजबूत चरित्र- महात्मा गांधी जी का मानना था, कि इंसान का चरित्र ही उसका आत्मविश्वास और साहस को मजबूत बनाता है, केवल .यही एक ऐसा ज़रिया है जिससे आप सभी को अपनी ओर आकर्षित कर सकतें हैं।