Parakram Diwas 2023: कब और क्यों मनाया जाता है पराक्रम दिवस? जानें इसके पीछे का उद्देश्य

 
Parakram Diwas 2023: कब और क्यों मनाया जाता है पराक्रम दिवस? जानें इसके पीछे का उद्देश्य

Parakram Diwas 2023: भारत के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और महान क्रांतिकारियों में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस का 23 जनवरी को जन्म हुआ था। इस मौके को भारत सरकार ने पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया करते है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का पूरा जीवन साहस, पराक्रम की कहानियों से भरा है। उड़ीसा के कटक में जन्मे बोस भारतीय प्रशासनिक सेवा की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए थे। लेकिन अंग्रेजों की गुलामी उन्हें मंजूर नहीं थी। इसलिए वापस स्वदेश लौट आए और आजादी की जंग में शामिल हो गए। नेता जी के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज, आजाद हिंद सरकार और बैंक की स्थापना की। हिंदुस्तानियों से आजादी की जंग में शामिल होने का आह्वान करते हुए नारा दिया, 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। सुभाष चंद्र बोस के क्रांतिकारी विचार और ओजस्वी भाषण जोश से भर देने वाले व्यक्ति थे.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2021 में 23 जनवरी के दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती को पराक्रम दिवस के तहत मनाने की घोषणा की थी। नेताजी की 125वीं जयंती से पहले उनके जन्मदिवस को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी।

आजादी के महानायक नेताजी सुभाष बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। नेताजी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना कर लोगों में स्वतंत्रता के प्रति चेतना जगाने का काम किया। यही कारण है कि उनकी देश के प्रति निस्वार्थ सेवा को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उनके जन्मदिन को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है.

WhatsApp Group Join Now

नेताजी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर में आजाद हिंद फौज के सुप्रीम कमांडर के तौर पर सेना को संबोधित किया था। 21 अक्टूबर 1943 को उन्होंने स्वतंत्र भारत की पहली अस्थाई सरकार बनाई थी, जिसे जर्मनी, जापान फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, आयरलैंड समेत 11 देशों ने कानून मान्यता प्रदान की थी.

सितंबर 2022 में प्रतिमा का लोकार्पण

प्रधानमंत्री मोदी ने सितंबर 2022 में इंडिया गेट के पास स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया था।

प्रतिमा अनावरण के बाद प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज का 'ऐतिहासिक और अभूतपूर्व' अवसर गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है और न ही शुरुआत और अंत ही है। ये मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है.

इसे भी पढ़े: Parakram Diwas 2023: सुभाष चंद्र बोस को क्यों कहा जाता है ‘नेता जी’? इसलिए मिली है ये उपाधि

Tags

Share this story