158 देशों को निर्यात करेगा पतंजलि यह कोरोना वैक्सीन की दवा, स्वामी रामदेव ने बताई खासियत
पिछली बार तमाम विवादों के बीच घिरी पतंजलि की कोरोना वैक्सीन ने इसबार रिसर्च पेपर सहित लाभकारी वैक्सीन होने का प्रमाणिकता के साथ दवा किया है. योग गुरु और पतंजलि के सह-संस्थापक बाबा रामदेव ने शुक्रवार को पतंजलि अनुसंधान संस्थान द्वारा तैयार एक वैज्ञानिक शोध पत्र (रिसर्च पेपर) जारी किया, जिसमे दावा किया गया है कि यह कोरोनावायरस के खिलाफ कोरोनिल नामक दवा को लेकर पहला सबूत-आधारित आयुर्वेदिक चिकित्सा शोध पत्र है. पतंजलि द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन और नितिन गडकरी की मौजूदगी में इस पत्र को लॉन्च किया गया.
पतंजलि ने एक बयान में कहा, ‘कोरोनिल को डब्ल्यूएचओ सर्टिफिकेशन स्कीम के अनुसार, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन के आयुष सेक्शन से सर्टिफिकेट ऑफ फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट (सीओपीपी) का सर्टिफिकेट मिला है.’ सीओपीपी के तहत, कोरोनिल को अब 158 देशों में निर्यात किया जा सकता है. कंपनी ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन बनाने के वैश्विक संघर्ष के बीच, पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट ने भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद के माध्यम से पहली साक्ष्य आधारित कोरोना दवा लाने का काम पूरा किया है.
बाबा रामदेव ने क्या कहा
इस पर टिप्पणी करते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा के आधार पर सस्ती चिकित्सा प्रदान करते हुए दवा मानवता की मदद करेगी। उन्होंने कहा, ‘प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर, आयुष मंत्रालय ने कोविड-19 में उपायों के समर्थन के लिए कोरोनिल टैबलेट को एक दवा के रूप में मान्यता दी है.’
आपको बतादे,पतंजलि ने पहली बार जून 2020 में कोरोनावायरस की एक दवा कोरोनिल बनाई थी, लेकिन बाद में उस पर सवाल उठे थे कि कंपनी ने इस दवाई को बिना क्लिनिकल ट्रायल के बाजार में बेचने के लिए उतार दिया है . पतंजलि ने दावा किया कि उसने इसका क्लीनिकल ट्रायल किया है और कोरोना संक्रमित लोगों पर इसका सकारात्मक असर हुआ है. हालांकि, बाबा रामदेव के दावे के बाद उस वक़्त भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने इस पर संज्ञान लिया और कहा कि मंत्रालय को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. मंत्रालय ने इस दवा के प्रचार-प्रसार पर भी रोक लगा दी थी.
रामदेव ने कहा कि शोध का उद्देश्य विश्व स्तर पर प्राचीन भारतीय चिकित्सा विज्ञान को वैज्ञानिक प्रमाण प्रदान करके और स्वास्थ्य सेवा में आत्मानिर्भर भारत के द्दष्टिकोण को पूरा करना है.
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