पेंशन के बदले प्रसाद? हैलट में पेंशनर्स के साथ अजीबो-गरीब मामला, जानिए क्या है पूरा विवाद!

कानपुर: पेंशनर्स फोरम, जो विभिन्न पेंशनर संगठनों का संयुक्त मंच है, ने हैलट में पेंशन और बकाया राशि के भुगतान में देरी को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है। फोरम ने मंदिर प्रसाद देने की परंपरा की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्रीय और राज्य पेंशनर्स के लिए जीवन प्रमाणपत्र को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, न कि धार्मिक प्रसाद को।
पेंशन के बजाय दिया जा रहा है मंदिर का प्रसाद?
धर्मलाल गेस्ट हाउस, गोमती नगर में आयोजित बैठक में यूनाइटेड बैंक रिटायर्ड एम्प्लॉईज एसोसिएशन सहित कई संगठनों ने पेंशनर्स को आ रही वित्तीय कठिनाइयों पर चर्चा की।
फोरम ने बताया कि सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी श्री यज्ञमोहन, जो तीन महीने पहले सेवानिवृत्त हुए थे, को अब तक उनकी पेंशन नहीं मिली। इसके बजाय, अधिकारियों द्वारा जीवन प्रमाण पत्र और मंदिर का प्रसाद दिया गया, जो बेहद असंवेदनशील और अपमानजनक है।
28 जनवरी 2025 को अस्पताल में हुई एक अन्य बैठक में भी अधिकारियों ने पेंशन भुगतान के बजाय प्रसाद वितरण का सुझाव दिया, जिससे पेंशनर्स और उनके परिवारों में नाराजगी बढ़ गई है।
सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग
फोरम ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि पेंशन में देरी की समस्या का समाधान हो सके। प्रतिनिधियों ने कहा कि 2009 से ओ.पी.एफ. पेपर फैक्ट्री के अधिसूचना के बाद से पेंशन वितरण की प्रक्रिया में भारी लापरवाही देखी जा रही है, जिससे कई सेवानिवृत्त कर्मचारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
बैठक में शामिल प्रमुख लोग:
श्री आनंद अवस्थी, बी. एल. गुलाबिया, सत्य नारायण, ए. के. निगम, आर. पी. श्रीवास्तव एडवोकेट, अशोक कुमार मिश्रा, ताराचंद्र, रविंद्र कुमार मधुर, वी. पी. श्रीवास्तव, सुभाष भाटिया, दिनेश चंद्र, ए. एस. राठौर, एन.के. दुबे, आर. पी. वर्मा, वी. पी. श्रीवास्तव, आर. के. वर्मा, शिवशंकर, एस. आर. वर्मा, के. के. श्रीवास्तव, आर. पी. एस. शुक्ला, अजीत मिश्रा, राम सब चौहान।
इसके अलावा, एस.बी.आई, आर.बी.आई, बी.एस.एन.एल, और एस.आर. ग्रुप के सेवानिवृत्त अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे।
फोरम ने उठाई ये मांगें:
- समय पर पेंशन भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
- मंदिर प्रसाद देने की परंपरा को तुरंत बंद किया जाए।
- प्रशासनिक लापरवाहियों को दूर कर पेंशन वितरण प्रणाली को सुधारा जाए।
फोरम ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस मामले में जल्द कदम नहीं उठाती, तो पेंशनर्स को विरोध प्रदर्शन और कानूनी कार्रवाई का सहारा लेना पड़ेगा।