PL-15E मिसाइल का मलबा भारत के पास, अब क्या चीन की तकनीक का होगा रिवर्स-इंजीनियरिंग से खुलासा?

नई दिल्ली | भारत और पाकिस्तान के बीच 6-7 मई की रात हुए टकराव को ऑपरेशन Sindoor के नाम से याद किया जाएगा। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान और POK स्थित आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। इस दौरान भारतीय वायुसेना ने राफेल, मिराज 2000, मिग-29 और SU-30 MKI जैसे फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया, वहीं पाकिस्तान ने चीन के JF-17 और J-10C विमानों से हमला करने की कोशिश की।
इस संघर्ष में एक चीन निर्मित PL-15E मिसाइल का मलबा पंजाब के होशियारपुर जिले के कमाही देवी गांव के पास मिला है। यह वही मिसाइल है जिसे पाकिस्तान ने भारत पर दागा था लेकिन निशाने तक नहीं पहुंच पाई।
भारत के पास अब चीन की मिसाइल टेक्नोलॉजी का मलबा
PL-15E एक लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइल है जिसे चीन की एविएशन इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना (AVIC) ने विकसित किया है। इस मिसाइल में AESA रडार, ड्यूल पल्स मोटर, और इर्शियल यूनिट जैसी अत्याधुनिक तकनीकें मौजूद हैं।
भारत को मिले इस मलबे में ये सभी महत्वपूर्ण हिस्से सुरक्षित अवस्था में मिले हैं। अब इसे रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए डीकोड किया जा सकता है।
रिवर्स इंजीनियरिंग से भारत को क्या फायदा होगा?
भारत के रक्षा वैज्ञानिक अब इस मिसाइल की डिज़ाइन और तकनीकी बनावट का अध्ययन करेंगे। इस प्रक्रिया से भारत अपनी Astra मिसाइल जैसी परियोजनाओं को और मज़बूत बना सकता है।
रिवर्स इंजीनियरिंग का मतलब है किसी भी डिवाइस या सिस्टम को तोड़कर उसकी बनावट को समझना और उससे नई तकनीकें विकसित करना। यह भारत के लिए डिफेंस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है।
‘Five Eyes’ और एशियाई देशों की रुचि क्यों बढ़ी?
अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूज़ीलैंड का खुफिया गठबंधन ‘Five Eyes’ भी इस मलबे में दिलचस्पी दिखा रहा है। साथ ही जापान और दक्षिण कोरिया भी PL-15E की AESA टेक्नोलॉजी को समझने में रुचि दिखा रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि चीन की रक्षा तकनीक की वैश्विक निगरानी कितनी गहराई से हो रही है।
चीन और पाकिस्तान की गहरी साजिश का खुलासा
SIPRI रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अपने 82% हथियार चीन से मंगवाता है। इनमें PL-15E, HQ-9 डिफेंस सिस्टम, JF-17 और J-10C जैसे सिस्टम शामिल हैं। 6-7 मई की रात हुए ऑपरेशन में भी चीन ने पाकिस्तान को मिसाइलें और सैटेलाइट डेटा सपोर्ट दिया।
चीन ने पहली बार स्वीकार किया है कि PL-15E को नवंबर 2024 में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया था और इसे एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड प्रोडक्ट कहा गया।
क्या PL-15E की नाकामी चीन के लिए झटका है?
बिलकुल। PL-15E मिसाइल का भारत में मलबा मिलना चीन के लिए एक तकनीकी रिसाव (tech leak) है। चीन की छवि एक विश्वसनीय रक्षा निर्यातक के रूप में प्रभावित हो सकती है। वहीं भारत को इससे टेक्नोलॉजी एडवांटेज हासिल हो सकता है।
क्या यह संघर्ष और बढ़ेगा?
सवाल यही है कि क्या PL-15E जैसे हथियारों के खुलासे और चीन-पाकिस्तान की बढ़ती साझेदारी के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच यह टकराव फिर से उभरेगा? या भारत इस घटना को रणनीतिक लाभ में बदलकर अपनी डिफेंस पोजीशन को और मज़बूत करेगा?