PM MODI और सउदी अरब क्राउन प्रिंस के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता,जानें कितनी अहम ये मीटिंग 
 

 
   PM Modi Meet Saudi Crown Prince

जी20 बैठक में शामिल होने आए सउदी अरब के प्रिस का भारत दौरा सोमवार को भी जारी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सउदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सउद के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। भारत और सउदी अरब के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल भी मौजूद रहे। सउदी अरब के क्राउन प्रिंस इस वक्त भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं और जी20 शिखर सम्मेलन समाप्त होने के बाद वे दिल्ली में ही रूके हुए हैं। उन्होंने 9-10 सितंबर को जी20 समिट में भी हिस्सा लिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वे 11 सितंबर को शाम 8.30 बजे स्वदेश रवाना होंगे।

सउदी प्रिंस की भारत की यह दूसरी यात्रा

सउदी अरब के क्राउन प्रिंस की यह दूसरी भारत यात्रा है। इससे पहले वे फरवरी 2019 में भारत का दौरा कर चुके हैं। वे 18वें जी20 समिट में शामिल होने के लिए बीते शुक्रवार को पालम एयरपोर्ट पहुंचे थे। शनिवार को यूनाइटेड स्टेट्स, सउदी अरब और यूरोपियन यूनियन ने ऐतिहासिक भारत-मिडिल ईस्ट यूरोप शिपिंग एंड रेलवे कनेक्टिविटी कॉरिडोर का ऐलान कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, सउदी अरब के क्राउन प्रिंस की मौजूदगी में इस मेगा प्रोजेक्ट का ऐलान किया था।

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कूटनीतिक बढ़त और निवेश पर है भारत की नजर

सऊदी अरब हथियारों और सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर है। हाल ही में उसकी दिलचस्पी चीन के प्रति बढ़ी थी। सऊदी इस मामले में चीन और अमेरिका से अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। भारत की योजना इस स्थिति का लाभ उठाने की है। इसके अलावा भारत की निगाहें निवेश पर भी हैं। हाल के समय में दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास हुए हैं। दोनों देशों के सेना प्रमुखों ने एक दूसरे देश का दौरा किया है। चूंकि सऊदी में भारत के करीब 15 लाख लोग रह रहे हैं, ऐसे में दोनों देशों के बीच विशेष संबंध बना है।

चीन-पाक के लिए चिंता की बात क्यों

दरअसल पाकिस्तान लंबे समय तक इस्लामिक मुल्क के नाम पर सऊदी अरब से करीबी संबंध बनाए हुए है, जबकि चीन ने हाल ही में अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई से उसे जोड़ा था। इसी बीच जी-20 के इतर हुई बातचीत में सऊदी अरब ने इस परियोजना का जवाब देने वाली आईएमईसी परियोजना पर हामी भर दी। दरअसल सऊदी अरब नई वैश्विक परिस्थितियों में अपनी सामरिक और कूटनीतिक ताकत में बढ़ोत्तरी करना चाहता है। 

इस्राइल-अरब को करीब लाने की होगी कोशिश

सरकारी सूत्रों का कहना है कि कूटनीतिक लड़ाई मध्य-पूर्व में दबदबे की है। सऊदी अरब और इस्राइल के बीच अदावत बेहद पुरानी है। अगर इन दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर हुए तो इस क्षेत्र में स्थिति में बड़ा बदलाव आएगा। चूंकि भारत इस समय इस्राइल के साथ सऊदी अरब का भी करीबी है, ऐसे में भविष्य में हमारी योजना दोनों देशों को करीब लाने की है।

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