गुरु रविदास जयंती पर पीएम मोदी पहुंचे दिल्ली के रविदास मंदिर, ट्विटर पर वीडियो की शेयर
Feb 16, 2022, 13:21 IST
आज संत रविदास जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के करोल बाग स्थित गुरु रविदास विश्राम धाम मंदिर में पूजा-अर्चना की. उन्होंने भक्तों के साथ बातचीत भी की और मंदिर में शब्द कीर्तन में भाग लिया. विजिटर्स बुक में लिखे गए संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरु रविदास का जीवन एक प्रेरणा था. प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर मंदिर में "बेहद खास पलों" का एक वीडियो भी पोस्ट किया. https://twitter.com/narendramodi/status/1493808509464772611?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1493808509464772611%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.ndtv.com%2Findia-news%2Fravidas-jayanti-pm-modi-offers-prayers-at-delhi-temple-tweets-video-of-very-special-moments-2771047 राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को रविदास जयंती के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं. ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक संदेश में राष्ट्रपति कोविंद ने देश के लोगों से संत के बताए रास्ते पर चलकर समानता और सद्भाव पर आधारित समाज के निर्माण में योगदान देने का आग्रह किया. राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी सन्देश में कहा गया,“सभी देशवासियों को गुरु रविदास जयंती की हार्दिक बधाई. महान संत गुरु रविदास जी ने बिना किसी भेदभाव के आपसी प्रेम और समानता का व्यवहार करने का संदेश दिया। आइए हम सभी गुरु रविदास जी के बताए मार्ग पर चलकर समानता, सद्भाव और समन्वय पर आधारित समाज के निर्माण में योगदान दें." रविदास जयंती के मौके पर दिल्ली सरकार ने छुट्टी घोषित कर दी है. आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के आदेश के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे. गुरु रविदास 15वीं और 16वीं शताब्दी के दौरान एक भक्ति आंदोलन संत थे और उनके भजन गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल हैं. उन्हें 21वीं सदी के रविदासिया पंथ का संस्थापक माना जाता है. रविदास जयंती माघ पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा का दिन है. गुरु रविदास के जन्म की सही तारीख ज्ञात नहीं है लेकिन यह व्यापक रूप से माना जाता है कि उनका जन्म 1377 सीई में वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था. गुरु रविदास ने सभी के लिए समानता और सम्मान की वकालत की, चाहे उनकी जाति कुछ भी हो. उन्होंने लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया और लिंग या जाति के आधार पर समाज के विभाजन का विरोध किया. कुछ लोग कहते हैं कि वह एक अन्य प्रमुख भक्ति आंदोलन कवि - मीरा बाई के आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी थे.