PMO में रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर हाई लेवल मीटिंग, आत्मनिर्भरता पर फोकस
नई दिल्ली। भारत सरकार ने रेयर अर्थ मैग्नेट्स की वैश्विक आपूर्ति संकट के बीच बड़ी रणनीतिक पहल करते हुए शुक्रवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में एक अहम बैठक आयोजित की। बैठक का उद्देश्य भारत की तैयारियों और नीतिगत दिशा का मूल्यांकन करना था।
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में भारी उद्योग विभाग और खान मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
चीन की आपूर्ति पर रोक से भारत की इंडस्ट्री को झटका
रेयर अर्थ मैग्नेट्स की वैश्विक आपूर्ति में अग्रणी चीन ने अप्रैल 2025 से इनका निर्यात रोक दिया है, जिससे भारत के ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइस और डिफेंस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में गहरी चिंता देखी जा रही है। दुनिया के लगभग 80% रेयर अर्थ मैग्नेट्स की आपूर्ति चीन करता है। इस निर्भरता के कारण भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भारी झटका लगा है।
PMO की इस बैठक में चीन के पास अटकी भारत की आयात अनुमति फाइलों की स्थिति की समीक्षा की गई और एक वैकल्पिक आत्मनिर्भर आपूर्ति श्रृंखला बनाने पर चर्चा हुई।
₹1345 करोड़ की प्रोत्साहन योजना की समीक्षा
बैठक में सरकार की 1,345 करोड़ रुपये की प्रस्तावित प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना की भी समीक्षा की गई, जिसका मकसद भारत में रेयर अर्थ मैग्नेट्स का घरेलू उत्पादन बढ़ाना है। इस योजना के तहत निजी क्षेत्र को प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
एक सूत्र के अनुसार, यह योजना केंद्र की रणनीतिक प्राथमिकताओं में शामिल हो चुकी है और आने वाले समय में इससे संबंधित कई और बैठकें होंगी।
लंबी अवधि के रोडमैप पर भी नजर
PMO ने न केवल मौजूदा संकट पर चर्चा की, बल्कि भारत में दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता के लिए रेयर अर्थ माइनिंग, रिफाइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की रूपरेखा पर भी मंथन किया।
यह रोडमैप रेयर अर्थ रिज़र्व की पहचान, राज्यों और केंद्र के बीच सहयोग और तकनीकी क्षमताओं के निर्माण पर केंद्रित रहेगा।
क्यों ज़रूरी हैं रेयर अर्थ मैग्नेट्स?
Neodymium, Praseodymium और Dysprosium जैसे रेयर अर्थ एलीमेंट्स इलेक्ट्रिक व्हीकल, रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी और रक्षा प्रणालियों में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। भारत, जो अपनी EV पॉलिसी को आगे बढ़ा रहा है और क्रिटिकल सेक्टर्स में आत्मनिर्भरता चाहता है, के लिए इन धातुओं का घरेलू उत्पादन रणनीतिक रूप से आवश्यक बन चुका है।