क्या है पॉकेट रेन? एक ही शहर में क्यों होती है बेमौसम बारिश?

कानपुर: शहर में इन दिनों बारिश का पैटर्न कुछ ऐसा देखने को मिल रहा है, जिसने आम लोगों से लेकर मौसम वैज्ञानिकों तक को हैरान कर दिया है। कहीं तेज बारिश हो रही है, तो कहीं कुछ बूंदें भी नहीं गिर रहीं। मौसम विभाग ने इस असमान बारिश के पैटर्न को ‘पॉकेट रेन’ नाम दिया है।
रविवार को कल्याणपुर, नवाबगंज और विकास नगर जैसे क्षेत्रों में 50 मिमी तक बारिश रिकॉर्ड की गई, जबकि बर्रा, नौबस्ता और किदवई नगर जैसे इलाकों में बारिश ना के बराबर हुई। अब वैज्ञानिक इस असमानता के पीछे 'हीट आइलैंड इफेक्ट' और शहरीकरण को कारण बता रहे हैं।
क्या है पॉकेट रेन?
‘पॉकेट रेन’ वह स्थिति होती है, जब बारिश किसी छोटे क्षेत्र में सीमित हो जाती है, जबकि आसपास के इलाके सूखे रह जाते हैं। यह तब होता है जब किसी खास जगह पर वातावरण में नमी और तापमान की स्थिति अनुकूल होती है। उस समय वहां क्यूम्यलोनिंबस जैसे विशाल बादल बनते हैं जो एक सीमित क्षेत्र में ही मूसलधार बारिश कर देते हैं।
गर्म हवाएं रोक रही हैं बारिश
मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पांडेय के मुताबिक, शहर में लगातार बढ़ रही इमारतें और कंक्रीट के ढांचे वातावरण को गर्म कर रहे हैं। इससे निकलने वाली गर्म हवाएं बादलों तक पहुंचकर उनमें मौजूद नमी को सुखा देती हैं। इस कारण बारिश की मात्रा 40% तक कम हो रही है। जहां यह गर्म हवा नहीं पहुंच पाती, वहां बारिश हो जाती है।
पहले पूरे शहर में बनते थे बादल
डॉ. पांडेय बताते हैं कि एक समय था जब 200 किलोमीटर तक बादल फैले होते थे और पूरे शहर में समान रूप से बारिश होती थी। लेकिन अब बादलों का बनना भी सीमित हो गया है। कुछ हिस्सों में ही बादल बनते हैं और बारिश थोड़ी देर में थम जाती है।
दिल्ली में पहली बार क्लाउड सीडिंग, IIT कानपुर की निगरानी में होगा ऑपरेशन
इसी बीच IIT कानपुर की टीम ने पहली बार दिल्ली में क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) का सफल प्रेजेंटेशन किया है। प्रोफेसर दीपू फिलिप, जो इस प्रोजेक्ट के इंचार्ज हैं, ने एक सरकारी मीटिंग में प्रोजेक्टर स्क्रीन पर क्लाउड सीडिंग की तकनीक का पूरा प्रदर्शन किया।
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर दीपू फिलिप (प्रोजेक्ट इंचार्ज) ने दिल्ली में पहली बार Artificial rain के बारे में विस्तार से बातचीत की और प्रोजेक्टर स्क्रीन पर क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया गया.#ReporterDiary | @Simerchawla20 pic.twitter.com/CgfqlEfq2H
— AajTak (@aajtak) July 1, 2025
उन्होंने बताया कि कैसे कृत्रिम रूप से बनाए गए बादलों में सिल्वर आयोडाइड और नमक जैसे पदार्थों का छिड़काव किया जाएगा, जिससे नमी के कण भारी होकर बारिश में बदल जाएंगे। यह प्रक्रिया न सिर्फ गर्मी से राहत दिला सकती है, बल्कि प्रदूषण को भी नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकती है।
क्लाउड सीडिंग की सफलता से कानपुर में भी हो सकती है शुरुआत
IIT कानपुर की इस पहल के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में कानपुर जैसे शहरों में भी क्लाउड सीडिंग तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, जहां पॉकेट रेन की समस्या आम होती जा रही है।