Prayagraj News: छात्रों का विरोध, UPPSC द्वारा परीक्षा दो शिफ्ट में कराने के फैसले पर हंगामा
Prayagraj News: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के 2024 पीसीएस और 2023 आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा को दो शिफ्ट में आयोजित करने के फैसले का विरोध कर रहे हैं। छात्रों की मांग है कि दोनों परीक्षाएं एक ही दिन और एक शिफ्ट में आयोजित की जाएं ताकि नॉर्मलाइजेशन की जटिलताओं से बचा जा सके। यूपीपीएससी के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन उग्र हो गया, जब छात्रों ने बैरिकेडिंग तोड़ी और पुलिस से भिड़ते हुए आयोग के गेट तक पहुंचने की कोशिश की।
छात्र क्यों कर रहे हैं विरोध?
यूपीपीएससी ने 2024 पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को और 2023 आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को दो दिन में आयोजित करने का ऐलान किया है। हालांकि, छात्रों का कहना है कि दो शिफ्ट में परीक्षा कराने से नॉर्मलाइजेशन के कारण अंक में असमानता हो सकती है। उनका यह मानना है कि दोनों परीक्षाओं को एक ही दिन और एक शिफ्ट में आयोजित किया जाना चाहिए।
नॉर्मलाइजेशन एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग दो शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करने पर परीक्षा की कठिनाई स्तर को समायोजित करने के लिए किया जाता है, लेकिन छात्रों का कहना है कि इससे अनफेयर ग्रेडिंग हो सकती है। छात्रों का आरोप है कि दो अलग-अलग दिनों में परीक्षा होने से अंक में भेदभाव होगा।
“हम चाहते हैं कि दोनों परीक्षाएं एक ही दिन, एक शिफ्ट में और बिना नॉर्मलाइजेशन के आयोजित की जाएं,” एक छात्र ने कहा।
पुलिस का भारी बंदोबस्त, प्रदर्शन और उग्र हुआ
जैसे-जैसे विरोध बढ़ा, यूपीपीएससी ने आयोग के कार्यालय के आसपास सुरक्षा बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया। पुलिस ने आयोग तक जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग की, ताकि छात्रों को भवन तक पहुंचने से रोका जा सके। लेकिन छात्रों ने बैरिकेडिंग तोड़ते हुए यूपीपीएससी के गेट तक पहुंचने में सफलता हासिल की, जिसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। प्रदर्शन दिनभर जारी रहा और छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी की।
पहले भी हुए थे प्रदर्शन और सोशल मीडिया अभियान
यह पहला मौका नहीं है जब छात्रों ने इस मुद्दे पर विरोध किया है। 21 अक्टूबर को भी छात्रों ने यूपीपीएससी प्री 2024 और आरओ/एआरओ 2023 प्री एग्जाम को लेकर सड़क पर धरना दिया था। छात्रों ने तब भी 'नो नॉर्मलाइजेशन' और 'वन डे, वन शिफ्ट' की मांग की थी। इसके अलावा, छात्रों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर हैशटैग अभियान भी चलाया है, जिसमें वे दो शिफ्टों की परीक्षा और नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं।
“हम लगातार मांग कर रहे हैं कि परीक्षा एक शिफ्ट में आयोजित की जाए। दो शिफ्ट का मतलब है कि नॉर्मलाइजेशन से अंक में भेदभाव होगा,” एक छात्र ने कहा।
यूपीपीएससी का इस मुद्दे पर रुख क्या है?
जबकि छात्र विरोध कर रहे हैं, यूपीपीएससी का कहना है कि दो शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करना नकल रोकने और परीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। आयोग का ध्यान पूरी पारदर्शिता और सुरक्षा के साथ परीक्षा आयोजित करने पर है। हालांकि, छात्र मानते हैं कि दो शिफ्टों में परीक्षा देना उनके लिए अधिक परेशानी का कारण बनता है और इससे अनावश्यक जटिलताएं पैदा होती हैं।
निष्कर्ष: यूपीपीएससी परीक्षा के फैसले पर छात्रों का विरोध जारी
प्रयागराज में चल रहे छात्रों के विरोध ने यूपीपीएससी के दो शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करने के फैसले पर बढ़ती निराशा को उजागर किया है। छात्र परीक्षा को एक ही दिन और एक शिफ्ट में आयोजित करने की मांग कर रहे हैं ताकि नॉर्मलाइजेशन के कारण होने वाली असमानता से बचा जा सके। जैसे-जैसे विरोध बढ़ता जा रहा है, यूपीपीएससी पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का दबाव बढ़ता जा रहा है।