रामायण एक काल्पनिक ग्रंथ, बिहार के बड़े दलित नेता का बयान
पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद दलित राजनीति की जिक्र एक बार फिर बढ़ गई है. इसी दौरान बिहार के बड़े दलित नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने रामायण को काल्पनिक ग्रंथ बताकर बिहार की राजनीति को गर्म कर दिया है.
देश में यह कोई पहला बयान नहीं है. इससे पहले भी देश के बड़े दलित नेता काशीराम, बाबासाहेब आंबेडकर और दक्षिण भारत के सबसे बड़े नेता ई रामास्वामी पेरियार भी रामायण को काल्पनिक बता चुके हैं
कांग्रेस का पंजाब में दलित स्ट्रोक:-
भारत की वर्तमान राजनीति में बीजेपी के धार्मिक राजनीति करण को चुनौती देने के लिए प्रत्येक पार्टी धर्म को राजनीति और पार्टी से जोड़ रही है. ऐसे वक्त में जब धर्म और मंदिर के नाम पर राजनीति और पंजाब में एक दलित के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा जोरों पर है. इस समय बिहार के एक दलित नेता का इस तरह का बयान बहुत कुछ बयां कर रहा है।
भारत में दलित राजनीति को एक नई दिशा देने वाले कांशी राम जिस पंजाब से आते थे, उस पंजाब में 32% दलित रहने के बावजूद काशीराम कुल के चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने में 70 साल लग गए. जबकि बड़े-बड़े दलित आन्दोलन यहाँ से शुरू हुए हैं.
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अधिकांश राज्यों की तरह पंजाब में भी अनुसूचित जाति की आबादी बँटी हुई है. दलित सिखों की संख्या 26.33 प्रतिशत है, वहीं रामदासिया समाज की आबादी 20.73 प्रतिशत है. जबकि आधी धर्मियों की आबादी 10.17 और वाल्मीकियों की आबादी 8.66 है. सब के सब दलित है लेकिन राजनीति समीकरण में इनकी पहचान सिख और हिंदू के रूप में की जाती है.
एक दलित को पंजाब का मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस हाईकमान ने अपने विरोधियों को हैरान जरूर कर दिया है. इस बदलाव का असर 2024 के आम चुनाव में देखने को मिलेगा. यह तो वक्त ही बताएगा. हालांकि इससे पहले गुजरात,उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनाव इस फैसले की प्रतिक्रिया का सेमीफाइनल है.