“खेती की ज़मीन पर उगाई गई हर चीज़ पर किसान का अधिकार होना चाहिए”: सद्गुरु
होसुर, तमिलनाडु, आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक Sadhguru ने शनिवार को किसानों के अधिकारों को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि खेती की ज़मीन पर किसान जो कुछ भी उगाता है, उस पर पूरा अधिकार उसी का होना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से ब्रिटिश काल के पुराने और प्रतिबंधात्मक कृषि कानूनों में संशोधन की अपील की।
होसुर में आयोजित कावेरी कॉलिंग अभियान के तहत हुए एक कृषि संगोष्ठी में 10,000 से अधिक किसानों को संबोधित करते हुए सद्गुरु ने कहा कि खेती को अत्यधिक सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना समय की आवश्यकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जंगलों में उगने वाले पेड़ों और निजी कृषि भूमि पर किसानों द्वारा लगाए गए पेड़ों के बीच स्पष्ट कानूनी अंतर किया जाना चाहिए।
सद्गुरु ने कहा, “किसान को अपनी ज़मीन पर उगाए गए पेड़ काटने या बेचने के लिए किसी से अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए। यह अधिकार सरकार की नीति का हिस्सा बनना चाहिए।” उन्होंने ब्रिटिश दौर के उस कानून को भी बदलने की मांग की, जिसके तहत ज़मीन की एक निश्चित गहराई के नीचे मौजूद संसाधनों पर सरकार का अधिकार माना जाता है।
उन्होंने कहा कि किसानों को सभी अनावश्यक नियमों से मुक्त किया जाना चाहिए, क्योंकि बाज़ार आधारित व्यवस्था किसानों के लिए सबसे बेहतर साबित हो सकती है। किसान को यह आज़ादी होनी चाहिए कि वह वही उगाए जो उसके लिए लाभकारी हो और उसे देश या दुनिया में कहीं भी बेच सके।

इस कार्यक्रम में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी पर टिप्पणी करते हुए सद्गुरु ने कहा कि राजनीति का उद्देश्य लोगों की सेवा होना चाहिए, खासकर जब बात जीवन के मूल स्रोत—कृषि और प्रकृति—की हो।
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री Shivraj Singh Chouhan भी मौजूद रहे। उन्होंने कावेरी कॉलिंग आंदोलन की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल किसानों की आय बढ़ाने, भूजल स्तर सुधारने और कावेरी नदी के पुनर्जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कावेरी कॉलिंग टीम को अपने अनुभव और सुझाव कृषि मंत्रालय के साथ साझा करने का निमंत्रण भी दिया, ताकि राष्ट्रीय स्तर पर वृक्ष-आधारित कृषि नीति तैयार की जा सके।
गौरतलब है कि कावेरी कॉलिंग अभियान का उद्देश्य निजी कृषि भूमि पर बड़े पैमाने पर पेड़ लगाकर कावेरी नदी को पुनर्जीवित करना और किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाना है। अब तक इस अभियान के तहत 12.8 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए जा चुके हैं और लाखों किसान इससे जुड़ चुके हैं।