सिलीगुड़ी कॉरिडोर 78 साल पुरानी ऐतिहासिक भूल, 1971 में सुधारा जाना चाहिए था”: सद्गुरु
बेंगलुरु | भारत के सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे आमतौर पर ‘चिकन नेक’ कहा जाता है, को लेकर आध्यात्मिक गुरु Sadhguru ने तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने इसे भारत विभाजन की एक “78 साल पुरानी ऐतिहासिक भूल” बताते हुए कहा कि इस गलती को 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के बाद ही सुधार लिया जाना चाहिए था।
बेंगलुरु स्थित सद्गुरु सन्निधि में आयोजित सत्संग के दौरान, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की हालिया टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए सद्गुरु ने कहा कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए एक संवेदनशील बिंदु बना हुआ है।
बाद में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा संदेश में सद्गुरु ने लिखा कि यह कॉरिडोर भारत के विभाजन का परिणाम है और अब जब देश की संप्रभुता को लेकर खुले तौर पर खतरे की बातें हो रही हैं, तो “चिकन को पोषण देकर हाथी बनाना” जरूरी है।
उन्होंने 1971 के बाद की परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय भारत के पास इस रणनीतिक कमजोरी को दूर करने का पूरा अवसर और अधिकार था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अब समय आ गया है कि इस भौगोलिक संकीर्णता को मजबूती में बदला जाए।
सद्गुरु ने यह भी स्पष्ट किया कि आदर्श रूप से दुनिया बिना सीमाओं की हो सकती है, लेकिन वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में यह व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों की नींव कमजोरी पर नहीं, बल्कि मजबूती पर टिकी होनी चाहिए, भले ही इसके लिए कीमत चुकानी पड़े।
गौरतलब है कि सद्गुरु पहले भी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, मंदिरों के विध्वंस और जनसांख्यिकीय दबाव जैसे मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से चिंता जता चुके हैं। उनका मानना है कि ये विषय केवल आंतरिक मामले नहीं हैं, बल्कि विभाजन से उपजे गहरे सभ्यतागत और भू-राजनीतिक प्रश्नों से जुड़े हुए हैं।