Samundrayaan Mission: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब समुद्र की दुनिया का पता लगाएगा ये मिशन

Samundrayaan Mission: भारत ने अंतरिक्ष में इतिहास रचा है। हमने चांदयान मिशन को सफल किया है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब भारतीय साइंटिस्ट गहरे समुद्र में खोज के लिए मिशन शुरू करेंगे। इस मिशन को समुद्रयान प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाएगा। यह मिशन, समुद्र की गहराइयों में छिपे खनिजों के रहस्य पर से पर्दा उठाएंगी। समुद्रयान मिशन में कोबाल्ट, निकिल, मैंगनीज वह अन्य कीमती एलिमेंट्स व खनिजों की खोज की जाएगी। स्वदेशी पनडुब्बी को 6 हजार मीटर नीचे गहरे पानी में भेजा जाएगा। इस मिशन में तीन लोग जाएंगे।
Next is "Samudrayaan"
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) September 11, 2023
This is 'MATSYA 6000' submersible under construction at National Institute of Ocean Technology at Chennai. India’s first manned Deep Ocean Mission ‘Samudrayaan’ plans to send 3 humans in 6-km ocean depth in a submersible, to study the deep sea resources and… pic.twitter.com/aHuR56esi7
मत्स्य 6000 सबमर्सिबल दो साल से चल रहा
मत्स्य 6000 नामक सबमर्सिबल का निर्माण, देश में करीब 2 साल से चल रहा है। मत्स्य 6000 का पहला परीक्षण चेन्नई के तट से दूर बंगाल की खाड़ी में 2024 में किया जाएगा। टाइटैनिक के मलबे का पता लगाने के लिए जून 2023 में उत्तरी अटलांटिक महासागर में टूरिस्ट्स को ले जाते समय हुए हादसे के बाद भारत ने अपनी स्वदेशी पनडुब्बी के निर्माण में अधिक सावधानी बरतनी शुरू कर दी है। मत्स्य 6000 को निकिल, कोबाल्ट, मैंगनीज, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड और गैस हाइड्रेट्स आदि मूल्यवान खनिजों की खोज के लिए भेजा जाएगा। यह गहरे समुद्र में हाइड्रोथर्मल वेंट और कम तापमान वाले मीथेन रिसाव में मौजूद केमोसिंथेटिक जैव विविधता की भी जांच करेगा।
कौन कर रहा है मत्स्य 6000 का निर्माण?
राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) द्वारा मत्स्य 6000 को विकसित किया जा रहा है। एनआईओटी के साइंटिस्ट को इस सबमर्सिबल की डिजाइन, टेस्टिंग प्रॉसेस, सर्टिफिकेशन, स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल्स के रिव्यू की भी जिम्मेदारी है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने बताया कि समुद्रयान मिशन को गहरे महासागर में खोज के लिए लांच किया जा रहा है। हम 2024 की पहली तिमाही में 500 मीटर की गहराई पर समुद्री परीक्षण करेंगे। इस मिशन के 2026 तक पूरा होने का अनुमान है। अभी तक अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन सहित केवल कुछ देशों ने मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की है।एनआईओटी के निदेशक जी ए रामदास ने बताया कि तीन व्यक्तियों के लिए मत्स्य 6000 का 2.1 मीटर व्यास वाले गोले का डिजाइन और निर्माण किया है। यह गोला 6,000 मीटर की गहराई पर 600 बार (समुद्र स्तर के दबाव से 600 गुना अधिक) के भारी दबाव को झेलने के लिए 80 मिमी मोटी टाइटेनियम मिश्र धातु से बनाया जा रहा। सबमर्सिबल को 96 घंटे की ऑक्सीजन आपूर्ति के साथ 12 से 16 घंटे तक लगातार संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।