तो इसलिए PM Modi के साथ राजघाट नहीं गए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस? जानिए बड़ी वजह

G20 At Rajghat: G20 शिखर सम्मेलन की दूसरे दिन यानी कि रविवार को समूह के नेता राजधानी दिल्ली स्थित महात्मा गांधी की स्मारक स्थल राजघाट पर बापू को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे, लेकिन इसमें सबसे बड़ी चीज यह रही कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज ऑल साउथ वहां नजर नहीं आए, आखिर मोहम्मद बिन सलमान पीएम मोदी के साथ राजघाट क्यों नहीं गए इसे लेकर कई सारे सवाल उठ रहे हैं, और कई अटकलें भी लगाई जा रही है एक अटकल यह भी लकी है कि क्या सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बाबू का सम्मान नहीं करते हैं या फिर कुछ और?
विचारधारा इसका कारण
आपको बता दे की एक रिपोर्ट के अनुसार जानकारों की नजर में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस का राजघाट पर न पहुंचना महात्मा गांधी के प्रति अनादर करना जैसा नहीं बल्कि उनकी सलफी विचारधारा कारण हो सकती है। बता दे रिपोर्ट में जामिया इस्लामिया के एक पूर्व प्रोफेसर अख्तरुल वासे के हवाले से सलफी विचारधारा के बारे में बताया गया है, प्रोफेसर के मुताबिक सलफी या अहले हदीस विचारधारा वाले किसी समाधि या मजार पर नहीं जाते हैं, एक और विशेषज्ञ ने यह भी बताया कि सेल्फी विचारधारा में कब्र को पक्का बनाना भी गलत है।
खुद को अलग मानते हैं सलफी
बता दे की सेल्फी या अहले हदीद विचारधारा वाले खुद को सलामी न्याय शास्त्र के पांच सिद्धांत के मानने वालों से अलग मानते हैं, फिक्ह के पांच सिद्धांतों के नाम हनफी, शफई, मालिकी, हम्बली और जाफरी हैं. इनमें जाफरी को छोड़कर चारों सिद्धांत सुन्नी समुदाय से संबंधित है जाफरी सिद्धांत को शिया समुदाय वाले मानते हैं, भारत में ज्यादातर मुसलमान के बीच सीखा है हंसी सिद्धांत को माना जाता है। सलाफ़ी या अहल हदीस विचारकों का मानना है कि फ़िक़्ह के पाँच सिद्धांतों वाली विचारधाराएँ इस्लाम के अंतिम पैगंबर मोहम्मद की मृत्यु के सदियों बाद अस्तित्व में आईं। वे इन्हें अलग-अलग इमामों की व्याख्या के रूप में देखते हैं। उन्हें लगता है कि इसमें पैगंबर मोहम्मद की जिंदगी के अलावा भी कई चीजें शामिल की गई होंगी. हदीस के अनुयायी पवित्र पुस्तक कुरान और हदीस के अनुसार इस्लाम में विश्वास करते हैं। पैगंबर मोहम्मद की कही बातों या कार्यों का वर्णन करने वाले संग्रह को हदीस कहा जाता है।