Delhi: क्या किसान सैटेलाइट से बचने के लिए 'पोखरण प्लान' अपना रहे हैं?

 
Delhi: क्या किसान सैटेलाइट से बचने के लिए 'पोखरण प्लान' अपना रहे हैं?

Delhi और आसपास के इलाकों में गंभीर वायु प्रदूषण के बीच पराली जलाने के तरीकों को लेकर नई चिंता सामने आई है। विशेषज्ञों और नासा वैज्ञानिकों का दावा है कि किसान सैटेलाइट की नजरों से बचने के लिए हाई-टेक तरीके अपना रहे हैं। यह सवाल खड़ा करता है कि पराली प्रबंधन और निगरानी तंत्र कितने प्रभावी हैं।

पराली जलाने में 'पोखरण प्लान' की झलक

1998 के भारत के परमाणु परीक्षणों की तरह, जब वैज्ञानिकों ने अमेरिकी सैटेलाइट से बचने के लिए गुप्त तरीके अपनाए थे, विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर-पश्चिम भारत के किसान सैटेलाइट निगरानी से बचने के लिए ऐसे ही कदम उठा रहे हैं।

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दावा: नासा वैज्ञानिक हीरेन जेठवा का कहना है कि किसान NASA और NOAA सैटेलाइट की निगरानी के समय (दोपहर 1:30-2:00 बजे) के बाद पराली जला रहे हैं।
सबूत: साउथ कोरिया के GEO-KOMPSAT-2A सैटेलाइट डेटा में दोपहर बाद धुएं के गुबार दिखे हैं, जो इन गतिविधियों का संकेत देते हैं।
सैटेलाइट निगरानी और स्थानीय प्रतिक्रिया
जहां जेठवा के इस विश्लेषण से चिंता बढ़ी है, वहीं पंजाब और हरियाणा के स्थानीय अधिकारी इन दावों को खारिज कर रहे हैं।

PPCB का बयान: पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के चेयरमैन आदर्शपाल विग ने कहा,
"सैटेलाइट से बचने की बात मात्र कल्पना है। ISRO और NASA के सैटेलाइट रात में भी घटनाएं रिकॉर्ड कर सकते हैं।"
पंजाब और हरियाणा में घटनाओं में कमी: आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं, क्योंकि किसान उन्नत फसल अवशेष प्रबंधन तकनीक अपना रहे हैं।

अन्य राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ीं

पंजाब और हरियाणा में कमी के बावजूद, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, और दिल्ली जैसे राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। यह समस्या अब सीमित न होकर व्यापक प्रभाव डाल रही है।

प्रदूषण संकट

दिल्ली लगातार खतरनाक वायु गुणवत्ता से जूझ रही है, जिसमें पराली जलाने को प्रमुख कारण माना जा रहा है।

वर्तमान स्थिति: पंजाब में कम घटनाओं के बावजूद NCR में प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है।
प्रभाव: जहरीली हवा ने स्वास्थ्य आपातकाल पैदा कर दिया है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं।
सटीक निगरानी और समाधान की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि बेहतर निगरानी और सरकार-किसानों के बीच सहयोग जरूरी है:

बेहतर तकनीक: भारत के भूस्थिर सैटेलाइट का उपयोग डेटा की सटीकता बढ़ाने में सहायक हो सकता है।
किसानों को समर्थन: किसानों को पर्यावरण-अनुकूल पराली प्रबंधन तकनीकों के लिए जागरूक और प्रशिक्षित करना होगा।
नीति-निर्माण: स्थानीय और केंद्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय मजबूत करना होगा।

आगे क्या?

किसानों द्वारा सैटेलाइट से बचने की इन रणनीतियों पर लगे आरोप एक जटिल समस्या की ओर इशारा करते हैं। इस संकट का समाधान सटीक निगरानी, किसानों का सहयोग और स्थायी प्रथाओं को अपनाकर ही किया जा सकता है।


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