सद्गुरु, नासा की सुनीता विलियम्स और वैज्ञानिक काव्या मन्यापु ने विज्ञान और अध्यात्म के संगम पर की चर्चा
हार्वर्ड टीचिंग हॉस्पिटल, बेथ इज़राइल डीकॉन्स मेडिकल सेंटर में आयोजित ‘चेतना, विज्ञान, आध्यात्मिकता और वैश्विक प्रभाव 2025’ सम्मेलन के दूसरे दिन सद्गुरु, नासा की अंतरिक्ष यात्री कमांडर सुनीता विलियम्स और वैज्ञानिक डॉ. काव्या मन्यापु ने “सचेतन अंतरिक्ष अन्वेषण” विषय पर संवाद किया
इस सत्र में बाहरी अंतरिक्ष की खोज और मानव चेतना की आंतरिक यात्रा के बीच गहरे संबंधों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का आयोजन सद्गुरु सेंटर फॉर कॉन्शियस प्लैनेट (SCCP) द्वारा किया गया, जिसकी स्थापना हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर डॉ. बाल सुब्रमण्यम ने की है।
सद्गुरु बोले — “मानवता को अपने मतभेद पृथ्वी पर ही छोड़ देने चाहिए”
सद्गुरु ने कहा कि जैसे-जैसे तकनीक मानवता को सशक्त बना रही है, वैसे-वैसे समावेशिता और सहयोग की भावना को बढ़ाना आवश्यक है।
“जब हम इस ग्रह को छोड़ते हैं, तो हमें अपने मतभेदों को पीछे छोड़ना होगा। अंतरिक्ष अन्वेषण किसी देश या धर्म की लालसा नहीं, बल्कि मानवता की जिज्ञासा का प्रतीक होना चाहिए।”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मानवता ने अपने भीतर की विभाजक सोच को नहीं छोड़ा, तो वही संघर्ष और भेदभाव अंतरिक्ष में भी पहुंच जाएगा।

सुनीता विलियम्स ने साझा किया अंतरिक्ष से पृथ्वी का अनुभव
तीन अंतरिक्ष मिशनों में 608 दिन बिताने वाली कमांडर सुनीता विलियम्स ने बताया —
“जब आप पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखते हैं, तो आपको कोई सीमाएँ नहीं दिखतीं। यह एहसास कराता है कि हम सब एक ही घर साझा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में रहना ध्यान और एकाग्रता का सर्वोच्च अनुभव देता है —
“पृथ्वी पर लौटने के बाद सबसे मुश्किल काम खुद पर और अपने कार्यों पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित रखना होता है।”
सम्मेलन का उद्देश्य — विज्ञान और चेतना का मेल
इस दो दिवसीय सम्मेलन में स्वामी सर्वप्रियानंद, डॉ. डीन राडेन, जूड करीवन, और प्रोफेसर विक्रम पटेल जैसे अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं ने भाग लिया।
चर्चा का उद्देश्य यह दिखाना था कि कैसे चेतना (Consciousness) न केवल व्यक्ति, बल्कि ग्रह के सामूहिक विकास की दिशा तय कर सकती है।
सद्गुरु ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा —
‘Exploration’ implies a journey into unknown terrain- inward or outward. The difference between the two is: You turn inward for pure knowing. You turn outward for impact, for use or utility. Both are about the human longing to Know. The difference is only in the degree of the… pic.twitter.com/icyASkWxyl
— Sadhguru (@SadhguruJV) October 12, 2025