Supreme Court: सरकार संपत्ति के बंटवारे पर बना सकती है कानून, लेकिन निजी संपत्ति के अधिग्रहण की इजाजत नहीं
Supreme Court: उच्च न्यायालय ने निजी संपत्ति को संरक्षण देने वाला एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार संपत्ति के वितरण के लिए कानून बना सकती है, लेकिन इसके लिए हर निजी संपत्ति के अधिग्रहण की इजाजत नहीं दी जा सकती। यह निर्णय प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले में सुनाया गया है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 39(b) और 31(c) की व्याख्या की गई है।
42वें संशोधन का संदर्भ
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 31(c) में 1976 में 42वें संशोधन के जरिए बदलाव किया गया था, जिससे नीति निदेशक तत्वों के आधार पर बनाए गए सभी कानूनों को संरक्षण मिला। हालांकि, कोर्ट का 1972 का ऐतिहासिक केशवानंद भारती फैसला इसे संपत्ति से जुड़े नीति निदेशक तत्वों तक सीमित करता है। संपत्ति के वितरण से जुड़े ये नीति निदेशक सिद्धांत अनुच्छेद 39(b) और 39(c) में उल्लिखित हैं।
मिनर्वा मिल्स का महत्वपूर्ण निर्णय
1980 में सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने मिनर्वा मिल्स बनाम भारत सरकार फैसले में 42वें संविधान संशोधन के जरिए अनुच्छेद 31(c) में हुए बदलाव को रद्द कर दिया था। कोर्ट के समक्ष यह सवाल था कि क्या मिनर्वा मिल्स फैसले के बाद अनुच्छेद 31(c) को लेकर केशवानंद भारती फैसले में दी गई व्यवस्था बरकरार है। 9 जजों की बेंच ने इस पर सहमति जताई है, जिसका मतलब यह है कि संपत्ति के वितरण से संबंधित सरकार के बनाए कानून को संवैधानिक संरक्षण रहेगा।