Supreme Court ने मदरसों पर यूपी सरकार के आदेश पर लगाई रोक, NCPCR की रिपोर्ट पर भी लगाई शर्तें

Supreme Court ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें गैर-मान्यता प्राप्त और सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने का निर्देश जारी किया गया था। इस आदेश के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद ने याचिका दायर की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया।
NCPCR की रिपोर्ट पर आधारित था यूपी सरकार का आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार का यह आदेश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की रिपोर्ट पर आधारित था, जिसमें राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 का पालन न करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करने और उनकी जांच करने का सुझाव दिया गया था। NCPCR की रिपोर्ट के अनुसार, मदरसों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन नहीं हो रहा था, जिसके कारण बच्चों को जरूरी शिक्षा नहीं मिल रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया और NCPCR की रिपोर्ट के आधार पर उठाए गए सभी कदमों पर फिलहाल रोक लगा दी। कोर्ट ने 7, 25, और 27 जून को जारी रिपोर्ट और उसके आधार पर किए गए सभी निर्णयों पर भी रोक लगा दी है।
एनसीपीसीआर की रिपोर्ट और विपक्ष की प्रतिक्रिया
NCPCR की रिपोर्ट में कहा गया था कि जब तक मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करते, उन्हें दिया जाने वाला सरकारी फंड बंद कर देना चाहिए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि मदरसों में धार्मिक शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, जिससे बच्चे जरूरी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। इस रिपोर्ट पर विपक्ष ने बीजेपी सरकार पर अल्पसंख्यक संस्थानों को निशाना बनाने का आरोप लगाया था।