सुप्रीम कोर्ट में पहली बार लागू हुआ आरक्षण, सीधी भर्ती और प्रोन्नति में मिलेगा लाभ

नई दिल्ली: भारत के सुप्रीम कोर्ट में इतिहास रचते हुए पहली बार सीधी भर्ती और प्रोन्नति में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षण नीति को लागू कर दिया गया है। 23 जून 2025 से प्रभावी इस नीति के तहत 200-प्वाइंट मॉडल रोस्टर प्रणाली को लागू किया गया है।
क्या है नई व्यवस्था?
24 जून को शीर्ष अदालत की ओर से जारी सर्कुलर में सभी कर्मचारियों को इस परिवर्तन की जानकारी दी गई। सर्कुलर के अनुसार, अब SC वर्ग को 15% और ST वर्ग को 7.5% आरक्षण का लाभ मिलेगा। यह नियम रजिस्ट्रार, वरिष्ठ निजी सहायक, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष, कनिष्ठ न्यायालय सहायक, और चैंबर अटेंडेंट जैसे पदों पर लागू होगा।
पहली बार सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण लागू
हालांकि, भारत के सुप्रीम कोर्ट में अब तक न्यायाधीशों की नियुक्ति में आरक्षण नहीं रहा है। लेकिन कर्मचारियों की भर्ती में भी पहले कोई आरक्षण नहीं था। अब लगभग 28 साल बाद, केंद्र सरकार के 1997 के आदेश को प्रभाव में लाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने कर्मचारियों पर आरक्षण नीति को लागू कर दिया है।
मॉडल रोस्टर और प्रक्रिया
रजिस्ट्रार प्रदीप वाई. लाडेकर की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि डीओपीटी के 2 जुलाई 1997 के ज्ञापन और सुप्रीम कोर्ट के सेवा नियम 1961 के अंतर्गत 200-प्वाइंट आरक्षण रोस्टर लागू किया गया है। यह रोस्टर सुप्रीम कोर्ट के इंट्रानेट SUPNET पर भी उपलब्ध कराया गया है।
आपत्ति प्रक्रिया
किसी भी कर्मचारी को यदि मॉडल रोस्टर या आरक्षण व्यवस्था में किसी त्रुटि या आपत्ति की जानकारी होती है, तो वह सीधे रजिस्ट्रार भर्ती को इस बारे में लिखित रूप में सूचित कर सकता है।