रोहिंग्या मुसलमानों को डिपोर्ट करने की याचिका पर SC ने लगाई रोक, कहा: उचित प्रक्रिया के तहत हो डिपोर्ट

जम्मू-कश्मीर के होल्डिंग सेंटर में मौजूद करीब 160 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी भी रोहिंग्या मुसलमान को तब तक वापस म्यांमार नहीं भेजा जाएगा, जब तक उनके डिपोर्टेशन के लिए उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती है.
हालांकि कोर्ट ने याचिका लगाने वाले व्यक्ति की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें उसने इन लोगों को रिहा करने की अपील की थी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
प्रशांत भूषण ने दिया मानवधिकारों का हवाला
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यों की पीठ ने गुरुवार को ये फैसला सुनाया. सलीमुल्लाह नाम के व्यक्ति की याचिका पर प्रशांत भूषण ने इस केस की पैरवी की. गौरतलब है प्रशांत भूषण ने इंटरनेशनल कोर्ट का हवाला दिया था. उन्होंने कहा था कि इन रोहिंग्या मुसलमानों की जान को म्यांमार में खतरा है, इसलिए इन्हें डिपोर्ट नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने कोर्ट में ये भी कहा था कि अभी म्यांमार में सत्ता मिलिट्री के पास है, ऐसे में रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजना ठीक नहीं है. ये मानव अधिकारों का उल्लंघन है.
केंद्र ने देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने दलील दी थी कि डिंटेशन सेंटर में रखे गए रोहिंग्या शरणार्थी नहीं, बल्कि घुसपैठिए हैं. ये लोग देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं. केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि भारत घुसपैठियों की राजधानी नहीं है. इसे ऐसा नहीं बनने दिया जाएगा. सरकार कानून के मुताबिक ही अपना काम कर रही है.
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