सूर्य को अर्घ्य क्यों दें? जानिए इसके चमत्कारी लाभ

 
सूर्य को अर्घ्य क्यों दें? जानिए इसके चमत्कारी लाभ

हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष में सूर्य को अर्घ्य देना एक अत्यंत फलदायी और आध्यात्मिक प्रक्रिया मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप लगातार 21 दिन तक भी यह प्रक्रिया सही विधि से करें, तो समाज में आपकी छवि, आत्मविश्वास, और ऊर्जा में चमत्कारी परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।

सूर्य अर्घ्य से होते हैं ये ज्योतिषीय लाभ

एक मजबूत सूर्य ग्रह आपकी कुंडली में निम्नलिखित सकारात्मक बदलाव ला सकता है:

सरकारी नौकरी में सहायता

समाज, रिश्तेदारों और मित्रों के बीच सम्मान और प्रतिष्ठा

चेहरे पर लालिमा, ऊर्जा, तेज और आकर्षण

आत्मविश्वासी और दमदार पर्सनैलिटी

लोगों का आपकी ओर आकर्षित होना

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दांपत्य जीवन में सामंजस्य और स्थायित्व

अर्घ्य देने की सही विधि

1. जल पात्र (Pot):

तांबे के लोटे का उपयोग सर्वोत्तम होता है। यदि तांबा उपलब्ध न हो तो अन्य धातु का पात्र भी चल सकता है।

2. जल में मिलाएं:
लाल फूल

अक्षत (अभंग चावल)

इच्छानुसार थोड़ी सी शक्कर

3. समय:
सर्वश्रेष्ठ समय है जब सूर्योदय से ठीक पहले आकाश में लालिमा दिखे। अगर आप देर से उठते हैं, तब भी उठकर स्नान के बाद अर्घ्य दें। बेहतर समय हो तो अच्छा, नहीं तो जब संभव हो तब दें।

4. दिशा और स्थान:
पूर्व दिशा की ओर मुख करके अर्घ्य दें। यदि छत या खुले स्थान पर नहीं जा सकते, तो घर की खिड़की या बालकनी से भी दिया जा सकता है। सूर्य दिखे जरूरी नहीं है, भावना और भक्ति आवश्यक है।

5. मंत्र:
इनमें से कोई भी 11 बार जप सकते हैं:

ॐ ह्रीं ह्रीणि सूर्याय नमः

ॐ घृणि आदित्याय नमः

ॐ ह्रीं सूर्याय नमः

ॐ श्री सूर्याय नमः

6. पात्र कैसे पकड़ें:
जलपात्र दोनों हथेलियों को जोड़कर इस प्रकार पकड़ें कि अंगूठे ऊपर न रहें। यह तरीका पवित्र और शास्त्रसम्मत माना गया है।

कुछ ज़रूरी सावधानियाँ

  • जल गंदी जगह या ऐसी जगह न गिरे जहाँ लोग पैर रखकर चलें।
  • संभव हो तो जल को किसी गमले या पौधे में डालें।

इस प्रक्रिया को जीवनभर अपनाएं, यह सरल है पर प्रभावशाली।

सूरज को न देख पाने पर क्या करें?

यदि आप ऐसी जगह रहते हैं जहाँ सूरज नहीं दिखता या छत पर नहीं जा सकते, तब भी अर्घ्य देना बंद न करें। दृष्टि नहीं, भक्ति और श्रद्धा मुख्य है।

निष्कर्ष

सूर्य को अर्घ्य देना न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह आपके व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, सामाजिक जीवन और मानसिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाला अभ्यास है। यदि आप इस प्रक्रिया को श्रद्धा से नियमित करें, तो आपके जीवन में तेज, आत्मबल और सकारात्मकता निश्चित रूप से बढ़ेगी।

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