International Women's Day: चांद से लेकर मंगल तक, भारत को अंतरिक्ष में ले गईं यें महिलाएं
महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुष से कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं. कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां महिलाओँ ने अपना लोह न मनवाया है. महिलाओं को लेकर जितनी भी भ्रांतियां थी उन सबको तोड़ते हुए आज वह प्रगति के मार्ग पर बढ़ती जा रही हैं. चाहे उद्दोग जगत हो, तकनीकी हो, विज्ञान हो, खेल, फिल्म, राजनीति हो आदि सबमें इनकी उपस्थिति देखने को मिल रही है. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उन महिलाओं की बात करेंगे जिन्होंने अंतरिक्ष की दुनिया में अपना परचम लहराया.
टेसी थॉमस
टेसी थॉमस ने हथियारों और परमाणु क्षमता से लैस मिसाइलों के विकास में इतिहास रचा जब वह भारत के मिसाइल प्रॉजेक्ट को हेड करने वाली पहली महिला बनीं। मिसाइल गाइडेंस में डॉक्टरेट टेसी अग्नि प्रोग्राम से डिवेलपमेंटल फ्लाइट्स के वक्त से ही जुड़ी थीं। उन्होंने अग्नि मिसाइलों में लगी गाइडेंस स्कीम को डिजाइन किया है। वह कहती हैं कि साइंस का कोई जेंडर नहीं होता।
वनीता मुथैया
इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजिनियर वनीता साल 2013 में मंगलयान के लॉन्च और सफलता में अहम भूमिका निभाई थी। मुथैया भारत के महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 मिशन के साथ वह ISRO की पहले महिला प्रॉजेक्ट डायरेक्टर बनीं. वनिता इससे पहले देश की रिमोट सेंसिंग सैटलाइट्स के डेटा ऑपरेशन्स को भी संभाल चुकी हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि कोई भी समस्या या पहेली हो, उनके सामने टिक नहीं सकती। वनीता को साल 2006 में ऐस्ट्रोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया ने बेस्ट वुमन साइंटिस्ट अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।
ऋतु करिधल-मंगलयान
भारत की रॉकेट वुमन ऋतु करिधल। मंगलयान के लिए 2013-2014 में डेप्युटी ऑपरेशन्स डायरेक्टर रहीं ऋतु ने चंद्रयान-2 मिशन के लिए डायरेक्टर का पद संभाला। चंद्रयान-2 के ऑनवर्ड ऑटोनॉमी सिस्टम को डिजाइन करना ऋतु के जिम्मे थे। IISC बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजिनियरिंग में मास्टर्स ऋतु ने मार्स ऑर्बिटर मिशन के लिए ISRO टीम अवॉर्ड और साल 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद से ISRO यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड का ईनाम भी अपने नाम किया है।