कल भारत लैंड करेगा चीतों का विशेष विमान, Kuno National Park में PM Modi कराएंगे इनकी एंट्री
Kuno National Park: बस एक दिन का इंतजार और भारत में आएंगे 8 चीते। नामीबिया से आठ चीतों को भारत ला रहा विशेष विमान कल जयपुर की बजाय ग्वालियर में लैंड करेगा, जहां से हेलीकॉप्टर के माध्यम से उन्हें कूनो नेशनल पार्क ले जाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 17 सितंबर को चीतों की सौगात देने कूनो नेशनल पार्क आ रहे है। कूनो नेशनल पार्क अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायेगा। एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप पर चीतों की शिफ्टिंग का कार्य एक अदभुद कार्य है। कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकन देश नामीबिया से चीतों को लाकर बसाया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी अपने जन्म-दिवस पर कूनो पालपुर के बाड़े में चीतों को विमुक्त करेंगे। कूनो नेशनल पार्क का प्राकृतिक वातावरण और यहाँ बहने वाली कूनो नदी सहित अन्य मनोहारी दृश्य इस स्थान को स्वर्ग जैसा सुन्दर बनाते हैं।
प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर कूनो नेशनल पार्क
प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर कूनो नेशनल पार्क के आगोश में बहने वाली कूनो नदी इसे न केवल ओर भी अधिक खूबसूरत बना देती है, बल्कि इसके सपाट और चौडे़ तटो पर खिली हुई धूप में अठखेलियां करते मगरमच्छ यहां आने वाले लोगों को रोमांचित कर देते है। कूनो नेशनल पार्क में विभिन्न प्रकार के 174 पक्षियों की प्रजातियां मौजूद है, वही सैकडो प्रजातियां वन्य जीवों की है। पक्षियों की 12 प्रजाति तो दुलर्भ श्रेणी में मानी गई हैं।
कूनो के राष्ट्रीय उद्यान के 750 वर्ग किलोमीटर में फैला है
भारत में चीतों को बसाने के लिए कूनो नेशनल पार्क में निर्धारित प्रोटोकॉल और गाइडलाइन के अनुसार कार्य होगा। परियोजना के एकीकृत प्रबंधन में कूनो के राष्ट्रीय उद्यान के 750 वर्ग किलोमीटर में लगभग दो दर्जन चीतों के रहवास के लिए उपयुक्तता है। इसके अतिरिक्त करीब 3 हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र दो जिलों श्योपुर और शिवपुरी में चीतों के स्वंच्छद वितरण के लिए उपयुक्त हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी दो बाड़ों में चीते विमुक्त करेंगे। पहले बाड़े में दो नर चीते छोड़े जाएंगे। दूसरे बाड़े में एक मादा चीता को छोड़ा जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों के दल ने नामीबिया की चीता प्रबंधन तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।कूनो राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से लगे हुए गाँव में पशुओं के टीकाकरण का कार्य पूरा किया जा चुका है। क्षेत्र के समस्त गाँव में जागरूकता शिविर लगाए गए हैं तथा कूनो से लगे आसपास के ग्रामों के 457 लोगों को चीता मित्र बनाया गया है। यहाँ चीतों के रहवास के लिए अनुकूल परिस्थितियों का विकास किया गया है। पानी की व्यवस्था के साथ आवश्यक सिविल कार्य भी पूरे किए गए हैं।
भारत में चीतो को फिर से स्थापित करने की योजना
वर्ष 1952 में भारत में एशियाई चीतों के विलुप्त होने के बाद से भारत में चीतो को फिर से स्थापित करने की योजना चल रही थी। इसी उद्देश्य के लिए सिंतबर 2009 में राजस्थान के गजनेर में चीता विशेषज्ञों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें चीता संरक्षण कोष के डॉ लोरी मार्कर, स्टीफन जेओ ब्रायन एवं अन्य चीता विशेषज्ञो ने दक्षिण अफ्रीकी चीता को भारत लाने सिफारिश की थी। पर्यावरण और वन मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली के निर्देश पर वर्ष 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान (वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट) ने भारत में चीता पुनर्स्थापना के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया, जिसमें 10 स्थलों के सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश के नौरादेही अभ्यारण, कूनो पालपुर अभ्यारण एवं राजस्थान के शाहगढ़ को उपयुक्त पाया गया, इन तीनो में से भी कूनो अभ्यारण्य जो वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान है, सर्वाधिक उपयुक्त पाया गया।