UP By-Election: तो इस वजह से सपा अपने होर्डिंग्स पर लगाती है पूर्व राष्ट्रपति कलाम की तस्वीर? आप रह जाएंगे हैरान
UP By-Election: उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) खुद को भाजपा के खिलाफ एकमात्र विपक्षी पार्टी के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही है। इस क्रम में, सपा ने पूर्व राष्ट्रपति और ‘मिसाइल मैन’ के नाम से प्रसिद्ध एपीजे अब्दुल कलाम को अपने आदर्श के रूप में राजनीतिक मंचों पर प्रदर्शित करना शुरू कर दिया है। हाल ही में गाजियाबाद में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की जनसभा में इस पहल का उदाहरण देखने को मिला, जहां कांग्रेस और सपा गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं।
इस जनसभा में लगाए गए होर्डिंग्स में एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तस्वीरें थीं, जबकि दूसरी तरफ संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर, राम मनोहर लोहिया, मुलायम सिंह यादव और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीरें भी प्रदर्शित की गईं।
कलाम की तस्वीर देखकर लोगों में यह सवाल उठने लगा कि सपा क्यों पूर्व राष्ट्रपति कलाम को अपने मंच का हिस्सा बना रही है। गौरतलब है कि 2022 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भी सपा के होर्डिंग्स पर कलाम की तस्वीर को लेकर विवाद खड़ा हुआ था।
सपा का तर्क: मुलायम सिंह यादव और कलाम का करीबी रिश्ता
कलाम की तस्वीर का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल कोई साधारण निर्णय नहीं है। 2021 में, समाजवादी पार्टी ने इसका औचित्य समझाते हुए कहा था कि कलाम, पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बहुत करीबी थे। 2002 में राष्ट्रपति पद के लिए कलाम के नाम की सिफारिश सबसे पहले मुलायम सिंह यादव ने ही की थी।
आजम खान की गैरमौजूदगी में भरपाई का इरादा नहीं
सपा ने यह भी स्पष्ट किया है कि पार्टी के प्रमुख मुस्लिम नेता आजम खान की अनुपस्थिति को भरने के लिए कलाम का नाम या तस्वीर का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। आजम खान, जो कि फरवरी 2020 से सीतापुर जेल में बंद हैं, के खिलाफ कई मामले लंबित हैं। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने 2021 में कहा था कि पार्टी सभी महान विभूतियों का सम्मान करती है और ऐसे लोगों की तस्वीरों को शामिल करने का प्रयास करती है जिन्होंने देश और समाज को नई दिशा दी है।
चौधरी ने यह भी कहा, ‘‘नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने 2002 में राष्ट्रपति पद के लिए सबसे पहले कलाम के नाम की सिफारिश की थी।’’ उन्होंने इस बात को नकारा कि कलाम की तस्वीर का इस्तेमाल सपा के मुस्लिम चेहरे को खोने की भरपाई के लिए किया जा रहा है। उनके अनुसार, ‘‘यह जाति या संप्रदाय से नहीं, बल्कि पूरी तरह से राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से किया जा रहा है। आजम खान का पार्टी में आज भी वही सम्मान है, जो पहले था।’’
भाजपा की प्रतिक्रिया: "अखिलेश को सदबुद्धि आई है"
भाजपा ने 2021 में सपा के इस कदम पर चुटकी लेते हुए टिप्पणी की थी। उत्तर प्रदेश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ और हज मंत्री रहे मोहसिन रजा ने कहा था, ‘‘ऐसा लगता है कि अखिलेश यादव को सदबुद्धि आ गई है और जिन्ना के स्थान पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीर अन्य नेताओं के साथ उनके मंच पर नजर आ रही है।’’