UP: यूपी में इनसे विवादित मुख्यमंत्री न जन्मा है और न जन्मेगा
एक मुख्यमंत्री जो सिर्फ उत्तर प्रदेश नहीं बल्कि उत्तराखंड के गद्दी को भी संभालता है। एक वक्त प्रधानमंत्री का दावेदार भी था। लेकिन अब इस मुख्यमंत्री के नाम सुनते ही लोग मजे लेने लगते हैं। विरोधी उन्हें ‘ये न हैं नर, ना हैं नारी, ये हैं नारायण दत्त तिवारी‘ कह कर उनका उपहास करते थे। लेकिन उनके चेहरे पर कोई शिकन न आती थी।
भारत में उत्तर प्रदेश की पहली विधानसभा में नारायण दत्त तिवारी सबसे युवा विधायक बने थे। कांग्रेस के नजदीकी तिवारी 26 वर्ष की आयु में 1952 में नैनीताल विधानसभा क्षेत्र से जीत कर उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचे थे। मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहते हुए नारायण दत्त तिवारी रात को 2 बजे सोने गए हों या सुबह 4 बजे, रोज़ 6 बजे उठ जाते थे। मतलब वो रोज़ 18 घंटे काम करते थे।
तिवारी 1976-77, 1984-84 और 1988-89 में देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और साल 2002 से 2007 तक उत्तराखण्ड के तीसरे मुख्यमंत्री रहे। साथ ही 2007-09 के दौरान वो आंध्र प्रदेश के गवर्नर भी रहे। जब राजीव गांधी बोफ़ोर्स मामले में फंसते हुए दिखाई दिए तब जिन दो नामों पर विचार हुआ था उनमें नरसिम्हा राव के साथ-साथ नारायण दत्त तिवारी भी थे। तब ये प्रस्ताव तिवारी के सामने रखा गया तो उन्होंने उसे सिरे से ख़ारिज कर दिया।
महिलाओं के साथ संबंध:
महिलाओं के साथ उनके संबंधों को लेकर तिवारी की काफ़ी किरकिरी हुई। हद तो तब हो गई जब एक तेलुगू चैनल ने राजभवन के बिस्तर पर तीन महिलाओं के साथ उनका वीडियो दिखाया था। साल 2008 में रोहित शेखर ने एक अदालत में ये दावा करते हुए पैटरनिटी सूट दायर किया कि नारायण दत्त तिवारी उनके पिता है फिर डीएनए जाँच के बाद अदालत ने पाया कि नारायण दत्त तिवारी रोहित शेखर के बॉयलॉजिकल पिता हैं।
इस सबके बावजूद तिवारी में खासियत थी तिवारी बैकग्राउंड के दम पर हमेशा वापसी करते रहे। कर्नाटक के नेता पॉर्न देखने की वजह से वापसी नहीं कर पाए। पीएम पद के बेहद करीब पहुंचे दलित नेता जगजीवन राम बेटे पर लगे स्कैंडल के आरोपों तले दब गए थे, लेकिन तिवारी राजनीति में कभी अतीत नहीं हुए।