यूपी पुलिस का लखनऊ में एनएसी के राष्ट्रीय अधिवेशन की इजाजत देने से इनकार

 
यूपी पुलिस का लखनऊ में एनएसी के राष्ट्रीय अधिवेशन की इजाजत देने से इनकार

अधिकारियों ने कोराना महामारी के फैलते प्रकोप को अधिवेशन की इजाजत न देने के कारणों में से एक बताया अधिकारियों का कहना है कि अधिवेशन में बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिक शामिल होंगे, जिनके बीमारी की चपेट में आने का खतरा हो सकता है।

एनएसी के अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने बताया, “हमें बड़े दुख के साथ एनएसी के राष्ट्रीय अधिवेशन को स्थगित करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह अधिवेशन लखनऊ में किसी अन्य पहले से निश्चित की गई तारीख पर आयोजित किया जाएगा। अधिवेशन की नई तारीख के संबंध में औपचारिक पुष्टि जल्द की जाएगी।“

यूपी पुलिस का लखनऊ में एनएसी के राष्ट्रीय अधिवेशन की इजाजत देने से इनकार

कमांडर अशोक राउत ने कहा, “हमने राष्ट्रीय अधिवेशन को आयोजित करने के लिए सभी जरूरी प्रबंध कर लिए थे। देश के सभी राज्यों और उत्तरप्रदेश के सभी जिलों और डिविजनों से बुजुर्ग पेंशनर्स इस राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने के लिए पूरी तरह से तैयार थे। हमने उनके ठहरने का भी प्रबंध किया था। हमने इस राष्ट्रीय अधिवेशन को व्यापक पैमाने पर सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की थी। हालांकि अधिकारियों ने इस अधिवेशन को आयोजित करने की इजाजत करने से इनकार कर दिया। अब बुजुर्ग पेंशनरों में सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ रोष पनप रहा है।“

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उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन ने यह फैसला उस समय लिया है, जब दूसरी राजनैतिक रैलियों और अन्य रैलियों को आयोजित करने की इजाजत दी जा रही है। राउत ने अधिकारियों के कदम की सख्त निंदा की। उन्होंने दावा किया कि यह कार्रवाई दिखाती है कि सरकार जानबूझकर वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनर्स की मांगों की उपेक्षा कर रही है, जिसका उन्हें जरा भी पछतावा नहीं है।

उन्होंने कहा, “ट्रेनों के कैंसल होने और धारा 144 लागू होने से पेंशनर्स पूरी तरह निराश हो गए हैं। इस मोड़ पर मैं अपने उन सभी भाइयों-बहनों को धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने इस अधिवेशन को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की।

राउत ने सभी पेंशनर्स से ट्रेन के वे टिकट कैंसल करने का भी आग्रह किया, जो उन्होंने लखनऊ जाने के लिए बुक कराए थे। उन्होंने सभी पेंशनरों को इस फैसले के कारण हुई असुविधा पर खेद जताया। उन्होंने कहा कि कुछ बातें ऐसी हैं, जिनका हम खुलासा नहीं करना चाहते, लेकिन यह फैसला व्यापक रूप से पेंशनरों के हित में लिया गया है।

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