Vehicle scrap policy: प्रधानमंत्री मोदी के इस निति से क्या होगा असर, जानें डिटेल्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वाहन कबाड़ नीति को लॉन्च किया है। इस अवसर पर मोदी ने कहा कि यह पॉलिसी भारत के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण। मोदी ने ट्विटर पर ट्वीट करा लॉन्च के बारे में जानकारी दी और युवाओं और स्टार्ट-अप्स को इस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए आग्रह किया। लॉन्च के दौरान पीएम मोदी ने दावा किया कि इस नीति से करीब 10,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ऑटोमोटिव स्क्रैपेज नीति को लॉन्च किया है।
बता दे कि वाहन कबाड़ नीति इसका आपकी जिंदगी और भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? तो डालते हैं एक नजर…
इस नई स्क्रैप पॉलिसी के मुताबिक 15 और 20 साल पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप (कबाड़) कर दिया जाएगा। कमर्शियल गाड़ी जहां 15 साल बाद कबाड़ घोषित हो सकेगी, वहीं निजी गाड़ी के लिए यह समय 20 साल है। अगर सीधे शब्दों में कहें तो आपकी 20 साल पुरानी निजी कार को रद्दी माल की तरह कबाड़ी में बेच दिया जाएगा। वाहन मालिकों को तय समय बाद ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर ले जाना होगा। सरकार का दावा है कि स्क्रैपिंग पॉलिसी से वाहन मालिकों का न केवल आर्थिक नुकसान कम होगा, बल्कि उनके जीवन की सुरक्षा हो सकेगी। सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी होगी।
वाहन मालिक को सरकार की तरफ से 4-6 फीसदी का स्क्रैप मूल्य दिया जाएगा, नया वाहन खरीदने पर रोड टैक्स में 25 फीसदी तक की छूट मिलेगी और स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट दिखाने पर वाहन कंपनियों की तरफ से पांच फीसदी तक की छूट देने की सलाह दी जाएगी साथ ही स्क्रैप वाहन को एक्सचेंज करने कुल 10 से 15 फीसदी तक का फायदा होगा।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने लोकसभा में व्हीकल स्क्रैपेज (वाहन परिमार्जन) पॉलिसी की घोषणा करते समय कहा था कि इससे, प्रदूषण पर लगेगा लगाम स्क्रैप पॉलिसी के तहत सरकार प्रदूषण पर लगाम लगाएगी। इस कदम को वायु प्रदूषण के खिलाफ सबसे बड़ी जंग के तौर पर देखा जा रहा है।ऑटोमोबाइल सेक्टर को जबरदस्त तेजी मिलेगी। बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होगा।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव ने नई स्क्रैंपिंग पॉलिसी लाने के पीछे दूसरे प्रमुख कारण के तौर पर सुरक्षा का हवाला देते कहा कि 15 से 20 साल पुराने वाहनों में सीट बेल्ट और एयरबैग आदि नहीं होते। जिससे ऐसे वाहनों में सफर जानलेवा होता है। नए वाहनों में कहीं ज्यादा सुरक्षा मानकों का पालन होता है। नए वाहनों से होने वाले एक्सीडेंट में हेड इंजरीज की दर भी कम है। इस प्रकार 15 से 20 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप्ड कर नए वाहन लेने के लिए लोगों को प्रेरित करने का मकसद है, पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाने के लिए हम राज्यों को प्रेरित कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें: दुश्मनों के रडार से बचने के लिए DRDO लेकर आई ये टेक्नोलॉजी, लड़ाकू विमानों को बचाने में है सक्षम