'कृषि कानून वापस नहीं होंगे' बोलने वाली मोदी सरकार के मंत्री-नेता अब क्या कह रहे?
राजनीति मतलब जिसका कोई मतलब ना हो। न आवाज का मतलब हो। ना बोलने वाले की नियत का। शुक्रवार यानी 19 नवंबर को प्रकाश पर्व के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी की कृषि कानून वापस लेने की घोषणा।
मोदी जी ने तो घोषणा कर दी लेकिन कहानी उन लोगों की जो मोदी जी के इस आदेश और नियम पर टेलीविजन पर जोर-जोर से उनके समर्थन में बोल रहे थे।
पीएम नरेंद्र मोदी ने 18 मिनट के अपने भाषण में कहा कि उनकी सरकार किसानों के हित के लिए कृषि क़ानून लेकर आई थी, लेकिन वो कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रही इसलिए तीनों कानून वापस ले रही है।
चलिए मोदी जी को तो सब ने सुन लिया अब सत्तारूढ़ बीजेपी के लोग जो एक सुर में ही बोल रहे थे। जानते हैं उन मंत्री-नेता ने कब क्या कहा, और अब क्या कह रहे।
'नए कृषि क़ानून किसानों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले हैं' ट्विट करने वाले नरेंद्र सिंह तोमर ने लिखा कि
नए कानून से, मंडियों के बाहर कृषि उपज की खरीद-बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जिससे किसानों पर आर्थिक भार कम होगा. कृषि उत्पादों पर टैक्स का बोझ कम होने से किसानों की आय बढ़ेगी।
साथ ही 19 नवंबर को एक ट्वीट कर कृषि क़ानून वापस लेने के फ़ैसले पर लिखा कि, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का कृषि बिलों का निर्णय अभिनंदनीय है।
कृषि कानून के प्रबल समर्थक प्रकाश जावड़ेकर ने लिखते हैं कि, प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने तीनों कृषि क़ानून वापस ले लिया है। ये उत्तरदायी सरकार का उदाहरण है जो किसानों के कल्याण और राष्ट्रीय हित में लगातार काम कर रही है और आगे भी करते रहेगी।
जिस पर सबकी नजर है उन्होंने कुछ नहीं लिखा है। हम बात कर रहे हैं बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा की। पीएम मोदी के घोषणा करने के बाद से उन्होंने अपनी तरफ से कोई राय इस बारे में नहीं रखी है।