मुसलमानों में बेरोज़गारी की क्या हैं वज़हें?

 
मुसलमानों में बेरोज़गारी की क्या हैं वज़हें?

वैसे तो बेरोजगारी सिर्फ भारत की नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समस्या है। लेकिन भारत के मुसलमान बेरोजगारों की संख्या में ज्यादातर हैं। एक सर्वे के मुताबिक भारत के मुसलमानों में तो दो तिहाई से ज्यादा लोग किसी आर्थिक गतिविधि का हिस्सा नहीं हैं और एक तरह से बेरोजगार हैं।

यूं तो भारत में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है लेकिन मुसलमानों की हालत का वजह कई लोग सरकार की गलत नीतियां और धार्मिक पूर्वाग्रहों को जिम्मेदार मानते हैं।

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मुसलमानों में शिक्षा की भी भारी कमी है। मुसलमानों को और अशिक्षा में रखने का एक कारण मदरसे की पारंपरिक प्रणाली में बदलाव भी है। एक वाजिब सवाल यह भी है कि मदरसे से पढ़कर आने वाले छात्र मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल से आधुनिक शिक्षा हासिल किए हुए छात्रों से कैसे प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं ?

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बीबीसी से बात करते हुए दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में ही समाजशास्त्र के शिक्षक तनवीर फ़ज़ल कहते हैं कि, मुसलमानों में शिक्षा अधूरी छोड़ने वालों का अनुपात बहुत अधिक है। साथ ही सरकार द्वारा स्थापित रंगनाथ मिश्रा समिति ने मुसलमानों को दस फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन इन सिफारिशों पर कभी अमल नहीं किया गया। ये भी एक वजह है।

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