गणेश भगवान का जन्म कब और कैसे हुआ
भगवान गणेश जोकि देवों के देव महादेव शिव और मां पार्वती के पुत्र हैं उनका जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था. देश भर में चतुर्थी तिथि के दिन बहुत धूमधाम से गणपति की पूजा-अर्चना की जाती है. जो भक्त इस दिन गणेश भगवान की श्रद्धा भाव के साथ प्रार्थना, पूजा-अर्चना करते हैं. भगवान गणपति उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. मां पार्वती के पुत्र गणपति को लेकर अनेक कथाएं प्रचलित हैं. जैसे वराह पुराण के अनुसार भगवान शिव ने पंचतत्वों से गणेश का निर्माण किया. और विष्णु पुराण के अनुसार मां पार्वती ने अपने शरीर के मैल से गणेश जी का निर्माण किया. आइए जानते हैं भगवान गणेश का जन्म कैसे हुआ.
भगवान गणेश का जन्म
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मां पार्वती ने अपने शरीर पर हल्दी का उबटन किया. जब उस उबटन को हटाया, तो उससे एक इंसान रूपी पुतला बना दिया. फिर उसके बाद मां पार्वती ने अपने तपोबल से उस पुतले में प्राण डाल दिए. जिससे एक सुंदर, आज्ञाकारी बाल गणेश का जन्म हुआ. जन्म के बाद मां पार्वती ने पुत्र को द्वार पर पहरा देने के लिए खड़ा कर दिया और कहा पुत्र मैं स्नान के लिए जा रही हूं. किसी को भी अंदर मत आने देना.
लेकिन इसी बीच भगवान शंकर वहां पहुंचे और अंदर जाने लगे. तभी गणेश ने उनका रास्ता रोक दिया और अंदर जाने से मना कर दिया. भगवान शिव के बार बार कहने पर भी गणेश नहीं माने. भगवान शिव क्रोधित हो गए और क्रोध में ही बच्चे का सिर धड़ से अलग कर दिया. बच्चे की चीख सुनकर मां पार्वती दौड़ी चली आयी और बाल गणेश की हालत देखकर तेज-तेज से रोने लगी. जिसे सुनकर सभी देवतागण वहां उपस्थित हो गए. रोते हुए मां पार्वती ने भगवान शिव से कहा हे प्रभु आपने यह क्या कर दिया. अपने ही पुत्र का सिर धड़ से अलग कर दिया. मां पार्वती के बोल सुनकर शिवजी स्तब्ध रह गए. उसके बाद मां पार्वती की जिद्द करने पर भगवान शिव ने अनेक देवताओं की सहायता से बाल गणेश के धड़ से हाथी का सिर जोड़कर, उसमें प्रणाम डाल दिए. हाथी का सिर लगने की वजह से गणपति को गजानन कहा जाने लगा और वह उसी दिन से सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय भी हो गये.
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