महादेव की भूमि पर कब और कैसे बनी ज्ञानवापी मस्जिद?
अयोध्या तो झांकी है काशी मथुरा बाकी है। आर एस एस और हिंदू राष्ट्र संगठन की ओर से यह नारा और भी बुलंद होता जा रहा है। पहले हिंदूवादी संगठन सिर्फ अयोध्या में मंदिर और मस्जिद मसला पर अपनी राय रखते थे लेकिन अब काशी और मथुरा की बात कर रहे हैं।
काशी यानी महादेव की नगरी में विश्वनाथ मंदिर के बगल में ज्ञानवापी मस्जिद स्थापित है। जिस को तोड़ने के लिए हिंदू संगठन एक होकर न्यायालय की और गया था।
कहानी क्या है?
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और उससे बगल में बनी ज्ञानवापी मस्जिद, दोनों के निर्माण और पुनर्निमाण को लेकर कई तरह की धारणाएं हैं। धारणाओं से अलग स्पष्ट और पुख़्ता ऐतिहासिक जानकारी काफ़ी कम है, दावों और क़िस्सों की भरमार ज़रूर है।
आम जनमानस के बीच इस बात का हल्ला है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगज़ेब ने तुड़वा दिया था और वहां मस्जिद बना दी गई लेकिन ऐतिहासिक दस्तावेज़ों को देखने-समझने पर मामला इससे कहीं ज़्यादा जटिल दिखता है।
इतिहासकार क्या बताते हैं?
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ज्ञानवापी मस्जिद को 14वीं सदी के दौरान जौनपुर के शर्की सुल्तानों ने बनवाया था। वहीं कई इतिहासकार इस तथ्य को मानने से इनकार करते हैं, उनके अनुसार ये दावे साक्ष्यों की कसौटी पर खरे नहीं उतरते।
वहीं अगर विश्वनाथ मंदिर के निर्माण की बात करें तो इसका श्रेय अकबर के नौरत्नों में से एक राजा टोडरमल को दिया जाता है जिन्होंने साल 1585 में अकबर के आदेश पर दक्षिण भारत के विद्वान नारायण भट्ट की मदद से कराया था। और, यह काम उन्होंने मुगल बादशाह अकबर के आदेश से कराया था।
वाराणसी में वरिष्ठ पत्रकार योगेंद्र शर्मा ने ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के बारे में काफ़ी शोध किया है। वो स्पष्ट तौर पर कहते हैं, "अकबर के समय में टोडरमल ने मंदिर बनवाया। क़रीब सौ साल बाद औरंगज़ेब के समय मंदिर ध्वस्त हुआ और फिर आगे लगभग 125 साल तक यहां कोई विश्वनाथ मंदिर नहीं था।"