ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में कम उम्र की लड़कियां भी क्यों आ रही हैं?
इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च(आईसीएमआर) नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ इंफोर्मेटिक्स एंड रिसर्च (एनसीडीआईआर) के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020 के अनुसार साल 2020 में कैंसर के 13.9 लाख मामले सामने आएं थें और इस आंकड़े के अनुसार ये मामले साल 2025 में बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंच जाएंगे।
आईसीएमआर की ये रिपोर्ट जनसंख्या के आधार पर बनी 28 कैंसर रजिस्ट्रियों और अस्पतालों की 58 कैंसर रजिस्ट्रियों के आधार पर निकाला गया है। महिलाओं में भारत और विदेश में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ने का मुख्य वजह लाइफस्टाइल है और दूसरा कारण जेनेटिक है मतलब अगर किसी को कैंसर हुआ हो तो आगे आने वाली पीढ़ी में कैंसर होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। वहीं भारत में कैंसर के मामले बढ़ने का मुख्य वजह भारत की बढ़ती आबादी है। युवा आबादी ज़्यादा है तो उनमें मामले सामने आ रहे हैं।
कैंसर के इलाज के समय चलने वाली कीमोथेरेपी का असर महिलाओं की फर्टिलीटी यानी प्रजनन क्षमता पर पड़ सकता है। स्तन में गांठ या लंप होना ये ब्रेस्ट कैंसर के आम लक्षणों में से एक है। वहीं युवा महिलाओं में कैंसर के लक्षण पहचानने में मुश्किल आती है। क्योंकि लक्षण ठीक से महसूस नहीं हो पाते, छोटे ट्यूमर का पता नहीं चल पाता।