मुसलमान क्यों नहीं बने थे B. R. Ambedkar?
बाबासाहेब हिंदू के विरोधी नहीं थे। वह विरोधी थे, पाखंड हिंदुत्ववादी के। इसलिए बाबा साहब अंबेडकर अंतिम समय में बौद्ध धर्म अपना लिए। भारत में मुख्य रूप से 2 धर्म है। जिसमें हिंदू और मुस्लिम का नाम अग्रिम पंक्ति में आता है। यहां एक सवाल बहुत ही अहम हैं कि अगर बाबा साहब हिंदू ना बने तो मुस्लिम क्यों नहीं बन गए?
जन्म से हिंदू बाबासाहेब अंबेडकर मरना हिंदू कभी नहीं चाहे। वजह था जातिवाद छुआछूत और ब्राह्मणवाद। लेकिन बाबा साहब अंबेडकर मुस्लिम धर्म ग्रंथ को पूज्य मानते थे लेकिन मुस्लिम समुदाय में चल रहे कुप्रथा और हिंदू धर्म में हो रहे कुप्रथा में फर्क नहीं समझते थे।
अम्बेडकर जातिवाद और दलितों की स्थिति के मामले में इस्लाम को हिंदू धर्म से बहुत अलग नहीं मानते थे। उनके अनुसार इस्लाम में भी हिंदू धर्म की तरह ऊंची जातियों का बोलाबाला है और यहां भी दलित हाशिये पर हैं।
बाबासाहेब के अनुसार इस्लाम में बस मस्जिद जाने में जात पात नहीं है बाकी दुनिया में इस्लाम भी जातिवाद से उतना ही ग्रस्त है जितना हिंदू। उस वक्त के हालात को देखा जाए तो हिंदू धर्म में ब्राह्मणवादी राजनीति का बोलबाला था, वैसे ही इस्लाम की राजनीति भी ऊंची जातियों तक सीमित थी।
इस्लाम को लेकर बाबा साहब की सबसे बड़ी चिंता महिलाओं को लेकर थी। अंबेडकर बहु विवाह प्रथा के खिलाफ थे। उनके अनुसार स्त्रियों को कष्ट होता है। इस प्रथा में उनका शोषण और दमन होता है।